India News (इंडिया न्यूज), Hindu Rituals Kapal Kriya: हिंदू धर्म में 16 संस्कारों का उल्लेख मिलता है, जो मनुष्य के जीवन के विभिन्न चरणों को दर्शाते हैं। इन्हीं संस्कारों में अंतिम संस्कार एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसे मृतक की आत्मा की मुक्ति के लिए अत्यावश्यक माना गया है। अंतिम संस्कार से जुड़ी कई परंपराएं और रीति-रिवाज हैं, जिन्हें निभाने पर ही यह क्रिया संपूर्ण मानी जाती है। इनमें से एक महत्वपूर्ण रिवाज है शव जलाने के दौरान मृतक के सिर पर डंडा मारने की क्रिया, जिसे कपाल क्रिया कहा जाता है।

कपाल क्रिया का अर्थ और प्रक्रिया

कपाल क्रिया शवदाह संस्कार के दौरान की जाने वाली एक विशेष क्रिया है। यह तब की जाती है, जब शव आधा जल चुका होता है। इस क्रिया में मृतक के सिर (कपाल) पर डंडा मारकर उसे खंडित किया जाता है। इसके बाद कपाल में घी डाला जाता है, ताकि अग्नि उस हिस्से को पूरी तरह जला सके।

घी डालने के बाद कपाल में भयंकर रूप से अग्नि प्रज्वलित होती है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि सिर पूरी तरह से जल जाए। इस प्रक्रिया को हिंदू धर्मग्रंथों और शास्त्रों में मोक्ष प्राप्ति और आत्मा की मुक्ति के लिए अत्यावश्यक माना गया है।

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कपाल क्रिया के पीछे के कारण

हिंदू शास्त्रों में कपाल क्रिया के तीन प्रमुख कारण बताए गए हैं:

1. सिर का ठोस होना

मृतक का सिर शरीर का सबसे ठोस भाग होता है। मुखाग्नि देने के बाद शरीर के अन्य हिस्से जल्दी जल जाते हैं, लेकिन सिर पूर्णतः नहीं जल पाता। अंतिम संस्कार की प्रक्रिया को अधूरा माना जाता है, यदि पूरा शरीर अग्नि में विलीन न हो। इसी कारण सिर पर डंडा मारकर और उसमें घी डालकर इसे जलाना सुनिश्चित किया जाता है।

2. मोक्ष का द्वार खोलना

हिंदू धर्म में कपाल को मोक्ष का द्वार माना गया है। यह विश्वास है कि मोक्ष प्राप्त करने के लिए कपाल का खुलना अनिवार्य है। कपाल क्रिया के माध्यम से इस द्वार को खोला जाता है, जिससे आत्मा को मुक्त होने में सहायता मिलती है।

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3. तांत्रिक क्रियाओं से बचाव

यदि मृतक का सिर साबुत रह जाए, तो इसे तांत्रिक क्रियाओं के लिए दुरुपयोग किया जा सकता है। तांत्रिक अपनी गतिविधियों में मृतक के सिर का उपयोग कर सकते हैं, जिससे आत्मा को मोक्ष प्राप्त करने में बाधा उत्पन्न होती है। इसलिए कपाल क्रिया के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाता है कि सिर पूरी तरह जल जाए।

अन्य संबंधित परंपराएं

कपाल क्रिया के साथ ही यह परंपरा भी निभाई जाती है कि शव पूरी तरह जलने के बाद ही परिजन घर लौटते हैं। यह सुनिश्चित करने का उद्देश्य है कि मृतक के शरीर का कोई भी भाग अग्नि से अछूता न रहे। इसके अलावा, शव को श्मशान ले जाते समय “राम नाम सत्य है” का उच्चारण किया जाता है, जिससे यह संदेश दिया जाता है कि मृत्यु सत्य है और भगवान का नाम ही एकमात्र सत्य है।

कपाल क्रिया हिंदू धर्म के अंतिम संस्कार की एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। यह न केवल आत्मा की मुक्ति और मोक्ष प्राप्ति को सुनिश्चित करती है, बल्कि यह तांत्रिक क्रियाओं से भी रक्षा करती है। हिंदू धर्म में अंतिम संस्कार केवल एक शारीरिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुष्ठान है, जो आत्मा को उसके परम उद्देश्य तक पहुंचाने में सहायक है।

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