India News (इंडिया न्यूज), Kashmir : अगर हम बात करें तो ऋग्वेद, महाभारत, शंकराचार्य और कश्मीर शैव धर्म, कश्मीर में हिंदुओं की मौजूदगी 5000 साल पुरानी है। पौराणिक ग्रंथ इसकी पुष्टि की गई हैं। कश्मीर सिर्फ एक भूगोल नहीं, बल्कि भारत की वैदिक आत्मा का जीवंत प्रतीक है। यहां हिंदू संस्कृति की जड़ें इतनी गहरी हैं कि वे समय के हर तूफान का सामना करने के बाद भी बची रहीं। कश्मीर में हिंदू कब से हैं? आइए हम आपको इस बारे में बताते हैं।

ऋग्वेद में कश्मीर ‘सप्त-सिंधु’ क्षेत्र का था हिस्सा

कश्मीर का सबसे पहला उल्लेख वेदों में मिलता है। कश्मीर भी ऋग्वेद में वर्णित ‘सप्त-सिंधु’ क्षेत्र का हिस्सा था। यह वह काल था जब आर्य सभ्यता अपने चरम पर थी और ब्राह्मण, ऋषि-मुनि इस हिमालयी क्षेत्र में तपस्या करते थे। कश्मीर नाम ऋषि कश्यप से लिया गया है। ऐसा माना जाता है कि उन्होंने इस क्षेत्र को जल से मुक्त करके बसाया था। बता दे कि, महाभारत में कश्मीर का उल्लेख एक महत्वपूर्ण जिले के रूप में किया जाता है। एक समय पर यहां क्षत्रिय, ब्राह्मण और अन्य हिंदू जातियाँ भी मौजूद रही हैं। यह काल दर्शाता है कि कि कश्मीर कोई अलग-थलग क्षेत्र नहीं था, बल्कि भारतीय भू-राजनीति और धार्मिक नीति का एक हिस्सा था।

पैलेस में न टेंट…न ही खाने का था इंतज़ाम और पहुंच गई बारात, पैलेस मालिक बुकिंग का पैसा लेकर मौके से फरार, विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज़

सम्राट अशोक और मौर्य काल

अशोक ने बौद्ध धर्म का प्रचार किया, लेकिन उससे पहले कश्मीर वैदिक सनातन संस्कृति का गढ़ था। यहाँ ब्राह्मणों की विद्वता के कारण बौद्ध धर्म भी मजबूत हुआ।

शंकराचार्य और शारदा पीठ (8वीं शताब्दी ई.)

आदि शंकराचार्य कश्मीर आए और शारदा पीठ की स्थापना की। यह पीठ भारत के चार प्रमुख विद्यापीठों में से एक बन गया और कश्मीर को ज्ञान की राजधानी का दर्जा मिला।

कश्मीर शैव धर्म (8वीं-12वीं शताब्दी)

यह काल कश्मीर में हिंदू दार्शनिक उत्कर्ष का स्वर्ण युग था। अभिनवगुप्त, वसुगुप्त, कल्लत जैसे आचार्यों ने यहीं से ‘कश्मीर शैव धर्म’ को जन्म दिया, जिसने अद्वैत से आगे की चेतना को छुआ।

मुस्लिम आक्रमण और प्रतिरोध (14वीं शताब्दी से आगे)

जब मुस्लिम आक्रमणों ने कश्मीर को प्रभावित किया, तो कश्मीरी पंडितों ने धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए महान बलिदान दिए। मार्तंड सूर्य मंदिर, अवंतीपोरा और अन्य मंदिर आज भी उस गौरव के प्रमाण हैं। कश्मीर में हिंदुओं की उपस्थिति 100-200 साल पुरानी नहीं है, बल्कि यह 5000 साल से भी ज्यादा पुरानी है। यह क्षेत्र शुरू से ही भारत की सनातन चेतना का हिस्सा रहा है, ऋषियों की साधना भूमि, ज्ञान का केंद्र और आध्यात्मिक प्रयोगशाला।

सांसद कुमारी सैलजा ने आग से फसलों को हुए नुकसान का लिया जायजा, पहलगाम में हुए आतंकी हमले की निंदा की