India News (इंडिया न्यूज), Shiv Ji Ke Nati Parnati: शिव जी को महादेव क्यों कहा जाता है, इसका एक बड़ा कारण उनके परिवार और उनके वंशजों में निहित है। शिव न केवल देवताओं के देवता हैं, बल्कि उनका पारिवारिक जीवन भी एक आदर्श का प्रतीक है। त्रिदेवों में एकमात्र शिव ही हैं जिनका एक पूर्ण परिवार है, जिसमें पत्नी, पुत्र-पुत्रियां, नाती-पोते सभी शामिल हैं। जबकि अन्य त्रिदेवों – विष्णु और ब्रह्मा – के पुत्र नहीं हैं और देवताओं के वंश आगे नहीं बढ़े, शिव जी का वंश कालांतर तक चलता है।

शिव जी के कई पुत्रों में सबसे प्रसिद्ध हैं गणेश और कार्तिकेय, जिनकी कथाएं हमें हमेशा प्रेरित करती हैं। गणेश जी का विवाह रिद्धि और सिद्धि से हुआ, जिनसे उनके दो पुत्र शुभ और लाभ हुए, और इसी से शिव जी दादा बने। गणेश जी की ये संतानें शिव परिवार का महत्वपूर्ण हिस्सा मानी जाती हैं।

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शिव जी के दादा बनने की कथा

शिव जी के दादा बनने की कथा तो अधिकांश लोग जानते हैं, लेकिन उनके नाना और परनाना बनने की कहानी उतनी प्रसिद्द नहीं है। यह तथ्य भी अद्भुत है कि शिव जी की एक पुत्री भी थी, जिसका नाम था अशोकसुंदरी। यह कथा बहुत ही अनोखी और कम सुनी जाने वाली है। अशोकसुंदरी का जन्म एक विशेष अवसर पर हुआ था, जब माता पार्वती ने अशोक वृक्ष से पुत्री प्राप्त करने की इच्छा जताई। इस इच्छा के परिणामस्वरूप अशोक वृक्ष से एक कन्या प्रकट हुई, जिसे अशोकसुंदरी के नाम से जाना जाता है।

ययाति

अशोकसुंदरी का विवाह राजा नहुष से हुआ, जो शिव जी का जमाई कहलाया। राजा नहुष और अशोकसुंदरी का पुत्र ययाति था, जिससे शिव जी नाना बने। ययाति की कथा भी बेहद प्रसिद्ध है। ययाति के वंश से ही कौरव-पांडव और यदुवंश की उत्पत्ति हुई। ययाति के शुक्राचार्य से विवाह वचन तोड़ने के कारण उन्हें बूढ़े होने का श्राप मिला, लेकिन उनके छोटे पुत्र कुरु ने उन्हें अपनी जवानी दी, और इस प्रकार ययाति फिर से युवा हुए।

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शिव जी के वंशज

इस तरह, शिव जी के वंश में कौरव, पांडव और यादव भी शामिल हुए। यह जानकर आश्चर्य होता है कि महाभारत के महान योद्धा, पांडव, और यदुवंशी भगवान कृष्ण, शिव जी के वंशज कहलाए जा सकते हैं। शिव जी के वंश का यह विस्तार और उनके नाती-पोतों का इतना विस्तृत प्रभाव, उन्हें पारिवारिक और सामाजिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण देवता बनाता है।

शिव जी के इस पारिवारिक वंश की गाथाएं हमें बताती हैं कि उनका संबंध सिर्फ देवताओं से नहीं, बल्कि मानव समाज से भी गहरा और महत्वपूर्ण है। उनके वंशजों के जरिए हमारी महान संस्कृति की नींव पड़ी, और उनका वंश आज भी हमारे धार्मिक और सामाजिक जीवन में उतना ही प्रासंगिक है।

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