India News (इंडिया न्यूज), Krishna Kaliyug Predictions: महाभारत सिर्फ एक युद्ध गाथा नहीं बल्कि भविष्य की घटनाओं का गूढ़ दस्तावेज भी है। श्रीकृष्ण ने द्वापर युग के अंत में पांडवों को कलयुग की जो भविष्यवाणी की थी, वह आज के समाज में सच होती दिख रही है। पांडवों के वनवास पर जाते समय युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण से पूछा था कि कलयुग में क्या-क्या घटित होगा। तब श्रीकृष्ण ने उन्हें वन में जाकर जो-जो देखें, शाम को बताने को कहा। जब सभी पांडव लौटे, तब उनके अनुभवों के आधार पर श्रीकृष्ण ने कलयुग की कड़वी सच्चाई को उजागर किया।
आम जनता का शोषण होगा
युधिष्ठिर ने सबसे पहले एक विचित्र हाथी देखा जिसकी दो सूंड थीं। श्रीकृष्ण ने समझाया कि इसका अर्थ है कि कलयुग में जो लोग सत्ता में होंगे वे बोलेंगे कुछ और करेंगे कुछ और। ऐसे लोग दोहरी बात करके आम जनता का शोषण करेंगे।
लोग एक-दूसरों की मृत्यु तक की प्रतीक्षा करेंगे
इसके बाद अर्जुन ने बताया कि उसने एक पक्षी देखा जिसके पंखों पर वेद मंत्र लिखे थे, लेकिन वह मरे जानवर का मांस खा रहा था। इस पर श्रीकृष्ण ने कहा कि कलियुग में दिखावा ज्ञान का होगा, पर आचरण राक्षसी होगा। लोग अपने स्वार्थ के लिए दूसरों की मृत्यु तक की प्रतीक्षा करेंगे।
अपने ही बच्चे के विकास में बाधा बनेगी मां
तीसरे अनुभव में भीम ने बताया कि एक गाय अपने बछड़े को इतना चाट रही थी कि वह लहूलुहान हो गया। श्रीकृष्ण ने कहा कि कलयुग में मां-बाप का अति प्रेम संतान के विकास में बाधा बन जाएगा। माताएं दूसरों के साधु पुत्रों को पूजेंगी, लेकिन जब उनका खुद का बेटा सन्यास लेगा तो विरोध करेंगी।
बढ़ेगी अमीरी-गरीबी की खाई
सहदेव ने देखा कि सात भरे कुओं के बीच एक कुआं बिल्कुल सूखा था। श्रीकृष्ण ने इसका अर्थ बताया कि कलयुग में अमीरी-गरीबी की खाई इतनी बढ़ जाएगी कि भरे-परे घरों के पास भी भूख से मरते लोगों की कोई मदद नहीं करेगा। अमीर लोग अपने भोग-विलास में करोड़ों खर्च करेंगे, लेकिन भूखे को खाना नहीं देंगे।
हरिनाम लेकर ही रुकेगा पतन
अंत में नकुल ने बताया कि एक विशाल चट्टान बड़ी-बड़ी चीजों से नहीं रुकी लेकिन एक नन्हे पौधे से टकराकर थम गई। श्रीकृष्ण ने कहा कि कलयुग में केवल सत्ता, ताकत या पैसा किसी को नहीं रोक पाएगा, परंतु “हरिनाम” यानी ईश्वर का नाम लेने से ही पतन को रोका जा सकेगा।
सच हो रहीं श्रीकृष्ण की भविष्यवाणियां
आज जब हम अपने चारों ओर के हालात देखते हैं, नेताओं की दोहरी बातें, स्वार्थ में लिप्त बुद्धिजीवी, रिश्तों में दिखावटी ममता, सामाजिक असमानता और अधार्मिकता, तो श्रीकृष्ण की ये भविष्यवाणियां पूरी तरह सच लगती हैं। यह कथा न केवल एक धार्मिक प्रतीक है, बल्कि आज के समाज को आईना दिखाने वाली सच्चाई भी है।