India News (इंडिया न्यूज), Facts About Kinna Akhada: प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ के दौरान किन्नर अखाड़ा भी विशेष रूप से उपस्थित रहता है। यह किन्नर समाज का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है, जो न केवल समाज की धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं को जीवित रखता है, बल्कि उनकी आस्थाओं का भी प्रतीक बन चुका है। किन्नर समाज की कुलदेवी बहुचरा माता हैं, और यह मान्यता है कि उनके पास पूजा करने से मन की मुराद पूरी होती है। बहुचरा माता की शरण में जाने से संतान की प्राप्ति होती है, और यही कारण है कि न केवल किन्नर समाज के लोग, बल्कि आम लोग भी इनके पास आकर अपनी समस्याओं का समाधान चाहते हैं।

बहुचरा माता का जन्म और उनकी महिमा

बहुचरा माता का जन्म एक चारण परिवार में हुआ था, और उन्हें हिंगलाज माता का अवतार माना जाता है। इन्हें मुर्गे वाली देवी भी कहा जाता है। उनके संबंध में एक पुरानी कथा है, जो उनके पूजा-पाठ और आशीर्वाद की मान्यता को स्थापित करती है। लोक कथाओं के अनुसार, गुजरात के एक राजा ने संतान प्राप्ति की इच्छा से बहुचरा माता की पूजा की थी। माता उनके पूजा से प्रसन्न हुईं और राजा को पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया। इसके बाद राजा और रानी के घर एक पुत्र का जन्म हुआ, जिससे उनका जीवन सुखमय हो गया।

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गुजरात में बहुचरा देवी का मंदिर

गुजरात के मेहसाणा में बहुचरा माता का एक प्रसिद्ध मंदिर है, जहां देशभर से निसंतान दंपती संतान प्राप्ति की आस में पहुंचते हैं। इस मंदिर में पूजा करने से उन्हें संतान का सुख प्राप्त होता है, और इसके पीछे बहुचरा माता की आशीर्वाद की विशेष शक्ति मानी जाती है। यहाँ आने वाले भक्तों का विश्वास है कि माता की कृपा से उनकी जिंदगी में खुशियाँ आती हैं, और वे माता-पिता बनने का सुख प्राप्त करते हैं।

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किन्नरों से आशीर्वाद लेने की सामाजिक रीति

भारत में यह सामाजिक रीति है कि जब घर में बच्चे का जन्म होता है, तो किन्नरों से आशीर्वाद लिया जाता है। यह विश्वास है कि किन्नर समाज की आशीर्वाद से संतान सुख प्राप्त होता है। किन्नर समाज को समाज में एक विशेष स्थान प्राप्त है, और उनके आशीर्वाद को अत्यधिक महत्व दिया जाता है।

बहुचरा माता की पूजा और आशीर्वाद का महत्व किन्नर समाज और अन्य आम जनों के लिए अत्यधिक है। उनकी पूजा से संतान सुख की प्राप्ति होती है, और उनके द्वारा दी गई आशीर्वाद से जीवन में खुशियाँ और समृद्धि आती है। किन्नर समाज की धार्मिक मान्यताएँ और रीतियाँ समाज की सांस्कृतिक धारा को बनाए रखती हैं और एकता और समृद्धि का संदेश देती हैं।

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