India News (इंडिया न्यूज), Lairai Devi Temple : गोवा के शिरगांव में आयोजित श्री लेराई ‘जात्रा’ के दौरान शुक्रवार (02 मई, 2025) रात एक दुखद घटना घटी। लेराई मंदिर में भगदड़ मचने से 7 लोगों की मौत हो गई, जबकि 30 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। हम आपको बता दें कि ‘जात्रा’ श्री लैराई देवी मंदिर में आयोजित होने वाला एक प्रमुख हिंदू धार्मिक उत्सव है। ये यात्रा इतनी खास है कि ये हर साल अप्रैल या मई में होती है और यह गोवा में सबसे प्रसिद्ध और अनोखी धार्मिक घटनाओं में से एक है। ये उत्सव अपनी अनूठी परंपराओं, खासकर अग्निदिव्य के लिए जाना जाता है। आइए आज हम आपको इसके इतिहास के बारे में बताते हैं

श्री लैराई देवी मंदिर का इतिहास

श्री लैराई देवी मंदिर गोवा के सबसे पुराने और प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यहां पर भक्त दूर-दूर से दर्शन करने के लिए आते है और इस मंदिर में माथा टेकते हैं। श्री लैराई देवी मंदिर की वास्तुकला उत्तरी और दक्षिणी मंदिर शैलियों का मिश्रण है, जिसमें एक गुंबद और पिरामिड जैसा ऊंचा शिखर शामिल है। स्थानीय मान्यता के अनुसार, लैराई देवी और मापुसा की वर्जिन मैरी (मिलग्रेस सैबिन) को बहनें माना जाता है, जो गोवा के सांप्रदायिक का एक समन्वय उदाहरण है। इस मंदिर में अन्य देवताओं जैसे संतर, महामाया, रावलनाथ, महादेव, ग्रामपुरुष, क्षेत्रपाल आदि के 14 छोटे-बड़े मंदिर भी बनाए गए हैं।

UP Weather Today: UP वालों हो जाओ सावधान! इन जिलों में गिर सकती है बिजली, बारिश और आंधी के भी आसार, IMD ने दे दी चेतावनी

श्री लेराई ‘जात्रा’ का महत्व

अगर हम बात करें तो इस मंदिर में जात्रा आमतौर पर अप्रैल या मई के महीने में आयोजित की जाती है। ये जात्रा त्सव पाँच दिनों तक चलता है, जिसमें विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान, पूजा और सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल होते हैं। मुख्य कार्यक्रम सुबह से शुरू होकर अगली सुबह तक चलता है, रात में मंदिर को रोशनी से सजाया जाता है। इस जात्रा का सबसे आकर्षक और अनोखा हिस्सा अग्निदिव्य है, जिसमें भक्त (धोंड) जलते हुए अंगारों (होमकुंड) पर नंगे पैर चलते हैं। यह अनुष्ठान सुबह 4 बजे शुरू होता है और इसमें गोवा और पड़ोसी कोंकण क्षेत्र से लगभग 20000 धोंड भाग लेते हैं। वे लकड़ी की छड़ियाँ लेकर देवी लेराई का नाम जपते हुए अंगारों पर चलते हैं। धोंड इस अनुष्ठान से पहले गुड़ी पड़वा से 5 दिन या उससे अधिक समय तक उपवास रखते हैं और मंदिर परिसर या अस्थायी झोपड़ियों में रहते हैं। उपवास अवधि के दौरान वे ढोंडाची ताली (पवित्र झील) में स्नान करते हैं।

‘जात्रा’ में हिंदू-ईसाई समुदाय के लोग लेते हिस्सा

यह जात्रा गोवा की सामुदायिक एकता का प्रतीक है। हिंदू और ईसाई समुदाय के लोग एक-दूसरे के उत्सवों में भाग लेते हैं। मापुसा में, मिलग्रेस सैबिन का उत्सव एक ही दिन होता है, और दोनों समुदाय एक-दूसरे को सम्मान देते हैं। जात्रा में हजारों भक्त शामिल होते हैं, और प्रशासन इसे सुचारू रूप से संचालित करने के लिए विशेष व्यवस्था करता है। कोई भी इस मंदिर के अंदर तस्वीरें नहीं ले सकता और यहां लाखों से ज्यादा भक्त आते हैं।

‘सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत कहां है’, कांग्रेस सांसद चरणजीत सिंह चन्नी ने उठाये सेना के शौर्य पर सवाल, पाकिस्तानियों के लिए जागी हमदर्दी