India News (इंडिया न्यूज), Kumbh Mela 2025: प्रयागराज संगम का नजारा इन दिनों अलग ही है। अब वो दिन दूर नहीं जब संगम तट पर बड़े-बड़े तंबू, नागा साधुओं की भीड़, चिलम पीते बाबा और जटाएं लहराते साधु-संत डुबकी लगाते नजर आएंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां 13 जनवरी से महाकुंभ शुरू होने जा रहा है। हर कोई इस अनूठे धार्मिक उत्सव का साक्षी बनना चाहता है। यही वजह है कि कुंभ मेले के दौरान देश-विदेश से लोग संगम में स्नान करने आते हैं।
किसी भी कुंभ या महाकुंभ में अक्सर देखा जाता है कि लाखों की संख्या में नागा साधु वहां आते हैं। लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि लाखों की संख्या में ये नागा साधु कहां से आते हैं? मेला खत्म होने के बाद ये कहां जाते हैं? नागा संन्यासी का जीवन कैसा होता है?
महाकुंभ मेला 2025 कब शुरू होगा?
महाकुंभ की शुरुआत पौष पूर्णिमा स्नान से होगी, जो 13 जनवरी 2025 को है। वहीं, कुंभ पर्व का समापन 26 फरवरी 2024 को महाशिवरात्रि के दिन आखिरी स्नान के साथ होगा। इस तरह महाकुंभ 45 दिनों तक चलता है, जिसकी भव्यता देखने लायक होती है।
इन जगहों से आते हैं नागा संन्यासी
ज्योतिषियों के अनुसार नागा साधुओं का जीवन रहस्य से भरा होता है। वे कहां रहते हैं और कहां जाते हैं, इसके बारे में ज्यादा कुछ बता पाना संभव नहीं है। लेकिन फिर भी वे उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और गुजरात से जूनागढ़ की गुफाओं या पहाड़ियों और हिमालय और हरिद्वार की गुफाओं से कुंभ में आते हैं। इनमें से कई संन्यासी गुप्त स्थानों पर रहते हैं और कपड़े पहनकर और कुछ नग्न अवस्था में भी तपस्या करते हैं और फिर अर्ध कुंभ या कुंभ के अवसर पर आते हैं। दरअसल ये नागा संन्यासी अपनी पहचान छिपाए रखते हैं।
मेला खत्म होने के बाद वे कहां अदृश्य हो जाते हैं
नागा संन्यासी कुछ सालों तक एक गुफा में रहते हैं और फिर दूसरी गुफा में चले जाते हैं। इस वजह से उनके सही स्थान का पता लगाना संभव नहीं है। एक गुफा से दूसरी और दूसरी से तीसरी गुफा में इस तरह बदलते हुए और भोले बाबा की भक्ति में लीन होकर ये नागा जड़ी-बूटियों और कंद-मूल के सहारे अपना पूरा जीवन गुजार देते हैं। कई नागा सालों जंगलों में घूमते रहते हैं और कुंभ या अर्ध कुंभ में देखे जाते हैं।
नागा साधुओं की जीवनशैली
सीमित भोजन: ऐसा कहा जाता है कि नागा साधु भिक्षा मांगते हैं और दिन में सिर्फ़ एक बार ही भोजन करते हैं। एक नागा साधु को सिर्फ़ 7 घरों से भिक्षा लेने का अधिकार होता है। साथ ही, जो भी भोजन उपलब्ध हो, उसे पसंद-नापसंद को नज़रअंदाज़ करते हुए प्यार से खाना होता है। इसके अलावा, नागा साधु सोने के लिए बिस्तर, खाट या किसी अन्य साधन का इस्तेमाल नहीं कर सकते। नागा साधुओं को गद्दे पर सोने की भी मनाही होती है।