India News (इंडिया न्यूज), Shree Ram Ke Paanch Bhai: जगद्गुरु रामभद्राचार्य, जो रामानंद संप्रदाय के चार प्रमुख जगद्गुरुओं में से एक हैं, ने भगवान राम और उनके भाइयों के संबंध में एक अद्वितीय और रोचक कहानी साझा की है। अपने ज्ञान और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से वे रामायण और हिंदू धर्म के विभिन्न रहस्यों को गहनता से समझाते हैं। उन्होंने भगवान राम के बारे में एक बहुत ही महत्वपूर्ण तथ्य उजागर किया, जो गोस्वामी तुलसीदास के पहले मंगलाचरण से संबंधित है।
भगवान राम के पांच भाई
अब तक हम यह मानते आए हैं कि भगवान राम के तीन भाई थे—भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न। लेकिन जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने एक नई व्याख्या प्रस्तुत की है, जिसमें उन्होंने बताया कि भगवान राम के चार नहीं, बल्कि पांच भाई थे। उन्होंने अपने एक साक्षात्कार में यह खुलासा किया कि हनुमान जी भी भगवान राम के भाई थे, और इस प्रकार उन्हें रघुवंश के पांचवें भाई के रूप में देखा जाना चाहिए।
हनुमान जी: राम के पांचवे भाई
जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने गोस्वामी तुलसीदास द्वारा लिखित “रामचरितमानस” के मंगलाचरण का संदर्भ लेते हुए बताया कि हनुमान जी केवल भगवान राम के सेवक या भक्त नहीं थे, बल्कि वे भी रघुवंश से जुड़े थे। रामभद्राचार्य के अनुसार, हनुमान जी का जन्म भी अयोध्या में माता कैकेयी की खीर से हुआ था, जो उनके पांचवें भाई होने का संकेत देता है। इस दृष्टिकोण से हनुमान जी केवल राम भक्त नहीं बल्कि राम के भाई हैं, जो उनकी विशेष स्थिति को दर्शाता है।
हनुमान जी का जन्म रहस्य
रामभद्राचार्य ने यह भी समझाया कि हनुमान जी का जन्म भगवान राम के साथ ही जुड़ा हुआ है। जब महाराज दशरथ ने पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ करवाया, तब यज्ञ के फलस्वरूप खीर का वितरण किया गया। इस खीर का एक अंश माता कैकेयी की ओर से हनुमान जी तक पहुंचा, जिससे हनुमान जी का जन्म हुआ। इस प्रकार, हनुमान जी राम के भाई बने। यह कथा बताती है कि हनुमान जी केवल एक सामान्य वानर योद्धा नहीं, बल्कि एक दिव्य संबंध से जुड़े थे, जो उन्हें भगवान राम का पांचवां भाई बनाता है।
रामभद्राचार्य की व्याख्या
जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने इस विचार को और स्पष्ट करते हुए कहा कि यद्यपि हमें रामायण और रामकथाओं में राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के रूप में चार भाई बताए गए हैं, हनुमान जी को भी रघुवंश के पांचवे भाई के रूप में समझा जाना चाहिए। हनुमान जी हमेशा भगवान राम के साथ खड़े रहे, चाहे वह उनके सेवक, मित्र या भाई के रूप में हों।
निष्कर्ष
हनुमान जी को राम के पांचवे भाई के रूप में मानना एक अद्वितीय दृष्टिकोण है, जो रामकथा में एक और भावनात्मक और आध्यात्मिक परत जोड़ता है। जगद्गुरु रामभद्राचार्य की इस व्याख्या से यह स्पष्ट होता है कि हनुमान जी और भगवान राम के संबंध में एक और गहराई है, जो केवल भक्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि एक पारिवारिक बंधन का प्रतीक भी है।
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