India News (इंडिया न्यूज),  Lunar Eclipse March 2025: 14 मार्च 2025 को होली वाले दिन चांद लाल दिखाई देगा। यह 13 तारीख की रात और 14 तारीख की सुबह दिखाई देगा। इसी दिन पूर्ण चंद्र ग्रहण भी है। जानकारी के लिए बता दें कि यह एक दुर्लभ खगोलीय घटना है। क्योंकि इस बार चांद खून के रंग का दिखाई देगा। वैज्ञानिक इसे सुपर लूनर इवेंट कह रहे हैं। क्योंकि ये पूर्ण ग्रहण होगा और चांद का रंग भी खून के रंग की तरह लाल होगा।

कब होता है पूर्ण चंद्रग्रहण?

चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी की छाया चांद के पूरे या आंशिक हिस्से को ढक लेती है। या इसे ऐसे समझें कि जब चांद और सूरज के बीच धरती आ जाती है, तब चंद्र ग्रहण होता है। चांद अपनी कक्षा में पांच डिग्री झुका होता है। इसलिए, पूरा चांद धरती की छाया से या तो थोड़ा ऊपर रहता है या थोड़ा नीचे। लेकिन चांद अपनी कक्षा में दो बार ऐसी स्थिति में आता है जब वह धरती और सूरज के सामने एक ही क्षैतिज तल पर रहता है। न ऊपर, न नीचे। यानी एक रेखा में। इसलिए ऐसी स्थिति में पूर्ण चंद्रग्रहण होता है। जब चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी की छाया में छिप जाता है, तो उस पर सूर्य की रोशनी नहीं पड़ेगी। वह अंधेरे में चला जाएगा। लेकिन चंद्रमा कभी भी पूरी तरह से काला नहीं होता। वह लाल दिखाई देने लगता है। इसीलिए कभी-कभी पूर्ण चंद्रग्रहण को लाल या ब्लड मून भी कहा जाता है। अब आपको बताते हैं कि लाल रंग क्यों? सूर्य के प्रकाश में सभी तरह के दिखने वाले रंग होते हैं।

ट्रूडो गए अब Canada के पीएम के दिल में बैठ गया Trump का डर? पहले ही भाषण में बंद हो गया मुंह, नजारा देख हैरान है दुनिया

क्यों हो जाता है लाल रंग?

यह पृथ्वी के वायुमंडल में मौजूद गैसों के कारण नीला दिखाई देता है। जबकि, लाल तरंगदैर्घ्य इससे होकर गुजरता है। इसे रेले स्कैटरिंग कहते हैं। यही वजह है कि आपको आसमान नीला और सूर्योदय व सूर्यास्त लाल दिखाई देता है। चंद्रग्रहण के दौरान लाल तरंगदैर्घ्य पृथ्वी के वायुमंडल से होकर गुजरता है। वायुमंडल के कारण यह मुड़कर चंद्रमा की ओर चला जाता है। यहां नीला रंग फिल्टर हो जाता है। इस कारण चंद्रमा लाल दिखाई देता है। अगर आप चंद्रग्रहण देखना चाहते हैं, तो आपको पृथ्वी के उस हिस्से में होना होगा जहां रात हो। वैसे इस बार पूर्ण चंद्रग्रहण एशिया, प्रशांत महासागर की मध्य रेखा, अमेरिका, अफ्रीका और कनाडा के दक्षिणी भाग, ग्रीनलैंड पर दिखाई देगा।

क्या होता है सुपरमून?

सबसे पहले समझते हैं कि सुपरमून क्या होता है? जब चंद्रमा पृथ्वी के करीब आता है तो उसका आकार 12 प्रतिशत बड़ा दिखाई देता है। आमतौर पर पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी 406,300 किलोमीटर होती है। लेकिन जब यह दूरी घटकर 356,700 किलोमीटर रह जाती है तो चंद्रमा बड़ा दिखाई देता है। इसीलिए इसे सुपरमून कहते हैं। इस समय चंद्रमा अपनी कक्षा में चक्कर लगाते हुए पृथ्वी के करीब आता है। क्योंकि चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर गोलाकार कक्षा में चक्कर नहीं लगाता है। यह अंडाकार कक्षा में चक्कर लगाता है। ऐसे में इसका पृथ्वी के करीब आना तय है। करीब आने की वजह से इसकी चमक भी बढ़ जाती है।

आंखों में उतर आएगा खून…औरंगजेब भी लगेगा शरीफ जब सुनेंगे इन राजाओं की कारसतानी, किसी ने मारा था अपना ही भाई तो एक ने बहाया था दामाद का खून