India News (इंडिया न्यूज़), Story Of Mata Sita in Vanvas: हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति में देवी सीता का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है, और उनके जीवन से जुड़ी कई कथाएँ हमें आध्यात्मिक और नैतिक शिक्षाएँ देती हैं। इनमें से एक दिलचस्प और रहस्यमयी कथा देवी सीता की साड़ी से जुड़ी है, जो उन्होंने 14 वर्षों के वनवास के दौरान पहनी थी।
दिव्य साड़ी का रहस्य
यह माना जाता है कि जब भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण जी वनवास पर गए थे, तो वे ऋषि अत्रि के आश्रम में पहुंचे थे। यहां पर ऋषि अत्रि की पत्नी, माता अनुसूया, ने उनका स्वागत किया और देवी सीता के प्रति अपनी स्नेहभावना व्यक्त की। इस समय माता अनुसूया ने देवी सीता को एक दिव्य साड़ी भेंट की, जो विशेष रूप से अद्भुत थी।
माना जाता है कि यह साड़ी कभी नहीं मैली हो सकती थी और न ही कभी फट सकती थी। 14 वर्षों के वनवास के दौरान, जब देवी सीता ने यह साड़ी पहनी, तब यह साड़ी किसी भी स्थिति में अपने आकार, रंग और सुंदरता में पूरी तरह बरकरार रही। साड़ी का रंग हमेशा पीला या गेरूआ था, जो हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है और जो साधना, तपस्या और पवित्रता का प्रतीक माने जाते हैं।
गेरूआ रंग का महत्व
गेरूआ रंग (या पीला रंग) हिंदू धर्म में पवित्रता, तपस्या और त्याग का प्रतीक है। यह रंग साधकों और संतों द्वारा पहने जाते हैं, क्योंकि यह रंग आत्मनिर्भरता, सरलता और सच्चाई का प्रतीक होता है। गेरूआ वस्त्र पहनने से मनुष्य में तपस्या की भावना जागृत होती है और जीवन के भौतिक सुखों से परे एक मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।
माता अनुसूया का उपदेश
माता अनुसूया ने केवल देवी सीता को दिव्य साड़ी ही नहीं भेंट की, बल्कि उन्होंने पतिव्रता धर्म के महत्व के बारे में भी उपदेश दिया। उन्होंने सीता जी को बताया कि एक पत्नी को अपने धर्म, समर्पण और पति के प्रति श्रद्धा में विश्वास रखना चाहिए, चाहे परिस्थितियाँ जैसी भी हों। सीता जी ने इसे अपने जीवन में पूरी तरह अपनाया और राम के प्रति अपनी निष्ठा और प्रेम को कभी भी कम नहीं होने दिया।
वनवास में साड़ी का अद्भुत रहस्य
जब देवी सीता, भगवान राम और लक्ष्मण जी 14 वर्षों के लिए वनवास पर गए, तो यह दिव्य साड़ी उनके लिए एक अद्भुत रक्षक साबित हुई। न तो यह साड़ी गंदी हुई, न ही इसका रंग फीका पड़ा। यह एक अद्वितीय चमत्कार था, जो साबित करता था कि यह साड़ी सिर्फ एक साधारण वस्त्र नहीं थी, बल्कि एक दिव्य शक्ति से भरी हुई थी, जो भगवान और उनके परिवार की रक्षा कर रही थी।
यह कथा हमें यह भी सिखाती है कि एक सच्चे और पवित्र धर्म का पालन करते हुए, यदि हम अपने कार्यों में ईमानदारी और विश्वास रखें, तो हमारे जीवन में भी दिव्यता और शक्ति का वास हो सकता है।
देवी सीता की साड़ी की कथा न केवल उनकी भक्ति, समर्पण और तपस्या का प्रतीक है, बल्कि यह हमें यह भी सिखाती है कि आध्यात्मिक साधना और धर्म के प्रति निष्ठा व्यक्ति को अद्भुत शक्तियाँ और संरक्षण प्रदान करती है। देवी सीता का जीवन और उनका तप ही हमें सच्चे धर्म और जीवन के उच्च आदर्शों का पालन करने की प्रेरणा देता है।
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