India News (इंडिया न्यूज), Maha Kumbh 2025 Snan: प्रयागराज में 144 वर्षों बाद होने वाले महाकुंभ 2025 का आयोजन पूरी भव्यता के साथ किया जा रहा है। यह ऐतिहासिक महाकुंभ 13 जनवरी 2025 (पौष पूर्णिमा) से शुरू होकर 26 फरवरी 2025 (महाशिवरात्रि) तक चलेगा। इस दौरान करोड़ों श्रद्धालु गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में स्नान करेंगे, जिससे उन्हें पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होगी। महाकुंभ के दौरान शाही स्नान का विशेष महत्व होता है। इसमें पहले नागा साधु और अन्य संत परंपरागत तरीके से स्नान करते हैं, जिसके बाद आम श्रद्धालु संगम में डुबकी लगा सकते हैं। मान्यता है कि शाही स्नान के बाद संगम स्नान करने से अधिक पुण्य फल प्राप्त होता है। स्नान के बाद श्रद्धालु संगम के जल को अर्घ्य अर्पित करते हैं और वहां फूल व दूध चढ़ाते हैं।

शादीशुदा और अविवाहित लोगों के लिए डुबकी के नियम

महाकुंभ में स्नान करने को लेकर कुछ खास मान्यताएँ हैं, जिनमें शादीशुदा और अविवाहित लोगों के लिए डुबकी लगाने के नियम भी शामिल हैं।

  • कम से कम 5 डुबकियां: स्नान के दौरान कम से कम 5 बार डुबकी लगाने की परंपरा है। यह पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश के पंच तत्वों का प्रतीक मानी जाती है।
  • अविवाहित लोगों के लिए 7 या 11 डुबकियां: अविवाहित श्रद्धालु 7 या 11 डुबकी लगा सकते हैं, जिससे उन्हें आध्यात्मिक लाभ और मानसिक शुद्धि प्राप्त होती है।
  • तीन डुबकियां: कुछ लोग 3 डुबकी लगाते हैं, जो त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक मानी जाती है।

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क्यों कहलाता है कुंभ स्नान ‘शाही स्नान’?

महाकुंभ में नागा साधु सबसे पहले स्नान करते हैं, जिनका प्रवेश हाथी, घोड़े और रथों के साथ बेहद भव्य अंदाज में होता है। उनकी धार्मिक निष्ठा और इस अनूठी परंपरा के कारण कुंभ के स्नान को शाही स्नान भी कहा जाता है। इस ऐतिहासिक और पावन स्नान के लिए दुनियाभर से श्रद्धालु प्रयागराज आ रहे हैं। अगर आप भी इस महाकुंभ में जाने की योजना बना रहे हैं, तो इन परंपराओं का पालन जरूर करें और संगम में पुण्य प्राप्त करें।

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