India News (इंडिया न्यूज),Mahabharat Story: महाभारत युद्ध के बाद पांडव अपनी जीत का आनंद लेने के लिए हस्तिनापुर लौट आए। भगवान कृष्ण भी उनके साथ थे। पांडव खुश भी थे और दुखी भी, क्योंकि उन्हें अपने गुरुओं और भाइयों के खिलाफ युद्ध करना पड़ा। हस्तिनापुर में पांडव धृतराष्ट्र और गांधारी से मिलने उनके महल में गए। धृतराष्ट्र ने अपने बेटों को गलत काम करने से कभी नहीं रोका था। उनका अपने बेटे के प्रति प्रेम ही उनकी कमजोरी थी, जिसके कारण उनके बेटे अन्याय के रास्ते पर चले गए। धृतराष्ट्र को अपने सौ बेटों में सबसे प्रिय दुर्योधन था।

धृतराष्ट्र से मिलने आए पांडव

जब धृतराष्ट्र को पता चला कि पांडव उनसे मिलने आ रहे हैं, तो उनके मन में बदले की भावना पैदा हो गई। वह भीम से बदला लेना चाहते थे, क्योंकि भीम ने दुर्योधन का वध किया था। भगवान कृष्ण सब जानते थे। उन्हें धृतराष्ट्र के मन में चल रही बदले की भावना का पता चल गया था। जब धृतराष्ट्र पांडवों का स्वागत करने के लिए महल के दरवाजे पर आए, तो उन्होंने सबसे पहले भीम को गले लगाने की इच्छा जताई।

भीम भावुक हो गए

धृतराष्ट्र की बातें सुनकर भीम भावुक हो गए और आगे बढ़ने लगे, लेकिन कृष्ण ने उन्हें पीछे हटने का इशारा किया। अपने सेवकों की मदद से कृष्ण ने वहां भीम की एक लोहे की मूर्ति रख दी। कृष्ण ने भीम को मूर्ति के पास खड़े होकर धृतराष्ट्र को पुकारने का इशारा किया। भीम ने वैसा ही किया। भीम की आवाज सुनकर धृतराष्ट्र ने लोहे की मूर्ति को अपनी पूरी ताकत से गले लगाया और उसे तोड़ दिया।

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धृतराष्ट्र को अपनी गलती का एहसास हुआ

धृतराष्ट्र का गुस्सा शांत होने के बाद उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ। उन्हें लगा कि उन्होंने भीम को मार दिया है और वे पश्चाताप करने लगे। तब कृष्ण ने धृतराष्ट्र को बताया कि भीम जीवित हैं और उनके पास खड़े हैं। कृष्ण ने धृतराष्ट्र को पूरी सच्चाई बताई और उन्हें शांत किया। इस तरह कृष्ण ने भीम की जान बचाई। यह घटना महाभारत की एक महत्वपूर्ण घटना है। यह हमें बताती है कि क्रोध और बदले की भावना मनुष्य को अंधा बना सकती है। हमें हमेशा शांत और धैर्यवान रहना चाहिए।

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