India News(इंडिया न्यूज़), Mahabharat Gatha: महाभारत के वनवास के तेरहवें वर्ष में पांडवों ने अज्ञातवास में जाने का निर्णय लिया। यह अवधि उनके लिए एक बड़ी चुनौती थी, क्योंकि उन्हें दुर्योधन और उसके गुप्तचरों से बचना था। उन्होंने अपनी योजना बनाई और छिपने के लिए मत्स्य साम्राज्य के विराट नगर को चुना। अर्जुन ने यह सुझाव दिया, क्योंकि मत्स्य राजा विराट नेक और धार्मिक व्यक्ति थे और दुर्योधन से घृणा करते थे। पांडवों ने इस पर सहमति जताई और अज्ञातवास के लिए तैयार हुए।
पांडवों के वेश और भूमिकाएँ
अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने अपने पहचान छिपाने के लिए अलग-अलग वेश धारण किए:
- युधिष्ठिर (कंक): युधिष्ठिर ने कंक नामक ब्राह्मण बनकर राजा विराट के सहयोगी के रूप में कार्य करने का निर्णय लिया। उन्होंने धर्मग्रंथों और शास्त्रों के अपने ज्ञान का उपयोग किया।
- भीम (बलभद्र): भीम ने एक रसोइए का वेश धारण किया और बलभद्र नाम से जाना गया। वह अपनी ताकत का उपयोग पहलवानों को व्यायामशाला में प्रशिक्षित करने में भी करते थे।
- अर्जुन (बृहन्नला): अर्जुन के दोनों कंधों पर धनुष गांडीव के चिह्न थे, जो उनकी पहचान को छिपाना मुश्किल बना देते थे। उन्होंने अप्सरा उर्वशी के दिए गए शाप को अमल में लाने का निर्णय लिया और बृहन्नला नामक किन्नर के रूप में राजा विराट की पुत्री उत्तरा को नृत्य और संगीत सिखाने का कार्य संभाला।
- नकुल: नकुल ने राजा विराट के अस्तबल में काम करने का निर्णय लिया। वह घोड़ों की देखभाल करने में निपुण थे और उनसे संवाद करने में सक्षम थे।
- सहदेव: सहदेव ने गायों और मवेशियों की देखभाल का जिम्मा उठाया। उनके पशुपालन कौशल ने उन्हें इस भूमिका के लिए उपयुक्त बनाया।
- द्रौपदी (सैरंध्री): द्रौपदी ने सैरंध्री (नाई या प्रसाधिका) का वेश धारण किया और मत्स्य रानी सुदेशना की सेवा में लग गईं। उन्होंने रानी के श्रृंगार और बालों को सजाने का कार्य संभाला।
अस्त्र-शस्त्रों को छिपाने की योजना
पांडवों के लिए अस्त्र-शस्त्रों को सुरक्षित रखना भी एक चुनौती थी। अर्जुन ने अपने धनुष की प्रत्यंचा खोल दी और भीम की गदा समेत सारे शस्त्रों को कपड़े में लपेटकर एक पार्थिव शरीर के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने ग्रामीणों को बताया कि यह उनकी वृद्ध मां का शव है, जिसे शमी के पेड़ की सबसे ऊंची शाखा पर रखा जाएगा। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि शव को छूने वाला शापित हो जाएगा। इस डर से ग्रामीण दूर रहे। पांडवों ने इंद्र, वरुण और ब्रह्मा देवताओं का आह्वान किया और उनसे अपने शस्त्रों की रक्षा करने की प्रार्थना की। देवताओं ने उनकी प्रार्थना स्वीकार की।
कीचक का वध
अज्ञातवास के दौरान द्रौपदी को मत्स्य राजा के साले कीचक से खतरा हुआ। कीचक बलवान और अहंकारी था। वह द्रौपदी पर आसक्त हो गया और उसे तंग करने लगा। द्रौपदी ने यह समस्या भीम को बताई। भीम ने कीचक को सबक सिखाने का निश्चय किया।
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द्रौपदी ने कीचक को रात में नृत्य कक्ष में मिलने के लिए बुलाया। भीम ने महिला का वेश धारण कर लिया और वहां छिप गए। जैसे ही कीचक ने द्रौपदी समझकर भीम के करीब आने का प्रयास किया, भीम ने उसे पकड़ लिया और उसकी हत्या कर दी। इस प्रकार, भीम ने द्रौपदी के सम्मान की रक्षा की।
अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने अपनी बुद्धिमानी और साहस का परिचय दिया। उन्होंने न केवल अपनी पहचान छिपाई, बल्कि अपने अस्त्र-शस्त्रों की भी रक्षा की। कीचक जैसे खतरों का सामना करते हुए भी उन्होंने अपने सिद्धांतों और धर्म का पालन किया। यह घटना पांडवों के संघर्ष, धैर्य और संकल्प का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करती है।