India News (इंडिया न्यूज),Mahakumbh 2025: बसंत पंचमी अमृत स्नान: महाकुंभ एक स्नान पर्व है, जिसमें दुनिया भर से लोग त्रिवेणी संगम पर आस्था की डुबकी लगाते हैं और अपने जीवन के सभी दुखों और पापों से मुक्ति पाते हैं। शाही स्नान के दिन श्रद्धालुओं की सबसे ज्यादा भीड़ होती है। अब तक कुंभ के तीन शाही स्नान हो चुके हैं। महाकुंभ का पहला अमृत स्नान 14 जनवरी को मकर संक्रांति के अवसर पर किया गया था, दूसरा स्नान 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के दिन किया गया था। जिसके बाद अब तीसरा अमृत स्नान 3 फरवरी को बसंत पंचमी पर किया जाएगा। आइए आपको बताते हैं कि अभी कितने शाही स्नान बाकी हैं।
तीसरे शाही स्नान की तिथि और शुभ मुहूर्त
आपको बता दें कि बसंत पंचमी हिंदू धर्म का पवित्र त्योहार है। बसंत पंचमी के पावन अवसर पर महाकुंभ का तीसरा अमृत स्नान 3 फरवरी रविवार को किया जाएगा। इस दिन स्नान का ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5:23 बजे से 6:16 बजे तक रहेगा। इस दौरान पवित्र संगम में स्नान करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
महाकुंभ के चौथे महास्नान की तिथि और शुभ मुहूर्त
महाकुंभ में चौथा महास्नान माघ पूर्णिमा के दिन यानी बुधवार 12 फरवरी 2025 को किया जाएगा। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5:19 बजे से 6:10 बजे तक रहेगा। इस दौरान महाकुंभ में स्नान करना शुभ माना जाता है। महाकुंभ में स्नान करने का काफी महत्व होता है। कुंभ में आस्था की डुबकी लगाने से भगवान विष्णु खुश होते हैं। लोग आध्यात्मिक ज्ञान और मानसिक शांति के लिए भी कुंभ मेला में आते हैं।
महाकुंभ का अंतिम महास्नान
महाकुंभ का अंतिम महास्नान 26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर होगा। इस दिन ब्रह्ममुहूर्त सुबह 5:09 बजे से 5:59 बजे तक रहेगा। इस दौरान श्रद्धालु महाकुंभ में महास्नान कर सकते हैं। महाकुंभ सिर्फ एक मेला नहीं है, बल्कि आस्था, परंपरा और हिंदू संस्कृति का संगम है।
अमृत स्नान के नियम
महाकुंभ में शाही स्नान करने से पहले कुछ विशेष नियमों का पालन किया जाता है। अमृत स्नान में सबसे पहले नागा साधु ही महाकुंभ में स्नान कर सकते हैं। नागा साधुओं की स्नान की प्राथमिकता सदियों से चली आ रही है। इसके पीछे एक धार्मिक मान्यता है। सनातन धर्म में नागा साधुओं को धर्म का रक्षक माना जाता है। नागा साधुओं को 12 वर्षों की कठोर तपस्या करनी पड़ती है। इसके अलावा गृहस्थ जीवन जीने वाले लोगों के लिए महाकुंभ में स्नान के नियम अलग होते हैं। उन लोगों को नागा साधुओं के बाद ही संगम में नहाना चाहिए। स्नान करते समय पांच डुबकी लगानी चाहिए, तभी स्नान पूरा माना जाता है। नहाते समय साबुन या शैंपू का उपयोग न करें। क्योंकि ऐसा करने से पवित्र जल दूषित हो जाता है।
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