India News (इंडिया न्यूज), Mahashivratri 2024, दिल्ली: महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर आप भगवान भोलेनाथ की पूजा आर्जना करके उनके आशीर्वाद को प्राप्त कर सकते हैं। भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए उन्हें दूध, दही, शहद, भांग, धतूरा, पुष्प, फल और बेलपत्र जैसी चीज अर्पित करनी चाहिए, लेकिन शास्त्रों में बेलपत्र अर्पित करने का बहुत महत्व माना गया है। पुराणों के अनुसार बेलपत्र शिवलिंग पर चढ़ने से मनुष्य अपनी सारी मनोकामना पूरी कर सकता है।
बिल्ववृक्ष की महिमा
- शिव पुराण के अनुसार बिल्ववृक्ष शिव जी का ही रूप है। देवताओं ने शिव स्वरूप वृक्ष की स्तुति की है। तीनों लोगों के स्वामी चमत्कारी पेड़ के मूल भाग में निवास करते हैं। Mahashivratri 2024
- पुराण में कहा जाता है कि इस बिल्व की मूल भाग में देवों के देव महादेव वास करते हैं। वहीं अगर इस को अपने मस्तक से लगाया जाए तो सभी तरह का ज्ञान को अर्जित किया जा सकता है। इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि जो भी मनुष्य गंध, पुष्प आदि के साथ बिल्व की मूल भाग्य की पूजा करता है। उसे शिवलोक की प्राप्ति होती है।
- इसके साथ ही जो भक्त जड़ के पास दीप जलाते है। उसे तत्व ज्ञान मिलता है।
- कहां यह भी जाता है कि जो शख्स बिल्व को हाथों में थाम कर उसकी नए-नए पल्लव उतारता है और उसे शिवलिंग पर अर्पित करता है। वह सब पापों से मुक्ति पता है।
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इस वजह से चढ़ता है शिव जी को बेल पत्र Mahashivratri 2024
पुराणों के अनुसार कहा क्या है कि समुद्र मंथन के दौरान कालकूट नाम का विष भी बाहर निकाला था। जिससे सभी देवता डर गए थे। सभी को बचाने के लिए भगवान भोलेनाथ ने वह विष गली में धारण किया। जिसके कारण उनके पूर्व शरीर नीला पड़ गया। उन्हें नीलकंठ के नाम से इसी दिन से जाना जाने लगा।
लेकिन विष की तीव्र ज्वाला से भोलेनाथ का मस्तक गर्म हो गया। जिस कारण से देवताओं ने शिव जी के मस्तक पर गर्मी को कम करने के लिए चंद्रमा को धारण किया। जिसकी ठंडक से वह शांत हो जाए। इसके साथ इस गर्मी को कम करने के लिए बेलपत्र का इस्तेमाल भी किया गया था। ऐसे में जो भी भक्तों उन्हें बेलपत्र और जल अर्पित करता है। वह उसे पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखते हैं। Mahashivratri 2024
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बेलपत्र अर्पित करते समय रखें इन बातों का ध्यान
- भगवान शिव को एक साथ जुड़े हुए तीन पत्तों वाले बेलपत्र को ही चढ़ाई।
- भगवान शिव को बेलपत्र अर्पित करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि इसके पत्ते कहीं से भी कटे फटे ना हो।
- बेलपत्र को कभी भी बासी नहीं माना जाता है। शिव जी को चढ़ाया गया बेलपत्र दोबारा धोकर भी चढ़ाया जा सकता है।
- भगवान शिव को हमेशा उल्टा बेलपत्र यानी चिकनी सतह की तरफ वाला भाग स्पर्श कराते हुए ही बेलपत्र चढ़ाएं।
- बेलपत्र को हमेशा अनामिका अंगूठे और मध्यमा उंगली की मदद से ही चढ़ाना चाहिए माथे वाले पत्ते को पड़कर शिवजी को अर्पित करें।
- शिवजी को कभी भी सिर्फ बेलपत्र अर्पित नहीं करना है। बेलपत्र के साथ आप जल की धारा को भी अर्पित करें।
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