India News(इंडिया न्यूज),Mahashivratri Char Pahar Puja: शास्त्रों में फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। दरअसल, इस दिन महाशिवरात्रि का व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति को विशेष फलों की प्राप्ति होती है। इसके अलावा महाशिवरात्रि के दिन कन्याएं सुंदर, सुशील और मनचाहा वर पाने के लिए भगवान शिव की विशेष पूजा करती हैं। महाशिवरात्रि व्रत के दिन भारत के अलग-अलग स्थानों पर स्थित बारह ज्योतिर्लिंगों की पूजा का भी विशेष विधान है। कहा जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन जो व्यक्ति बिल्व पत्र यानी बेल के पत्तों से शिव की पूजा करता है और पूरी रात भगवान के मंत्रों का जाप करते हुए जागता है, उसे भोलेनाथ की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस साल महाशिवरात्रि का व्रत 26 फरवरी को रखा जाएगा।

महानिशीथ काल का महत्व

महाशिवरात्रि के दिन विशेष सिद्धियां प्राप्त करने के लिए कई लोग महानिशीथ काल में भगवान शिव की पूजा करते हैं। महानिशीथ काल 26 फरवरी को दोपहर 11:47 बजे से 12:37 बजे तक रहेगा। इसके अलावा मान्यताओं के अनुसार इसी दिन से सृष्टि का प्रारंभ हुआ था। ईशान संहिता में भी उल्लेख है कि फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को महानिशीथ काल में आदिदेव भगवान शिव करोड़ों सूर्यों के बराबर प्रभाव वाले लिंग रूप में प्रकट हुए थे- फाल्गुन कृष्ण चतुर्दश्याम आदिदेवो महानिशी। शिवलिंग त्योद्भुत: कोटि सूर्य समप्रभ:। इसलिए इस दिन महानिशीथ काल में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है।

महाशिवरात्रि पर ऐसे करें चारों प्रहर में भगवान शिव की पूजा

महाशिवरात्रि पर शिवलिंग को रात्रि के प्रथम प्रहर में दूध से, दूसरे प्रहर में दही से, तीसरे प्रहर में घी से तथा चौथे प्रहर में शहद से स्नान कराना चाहिए। प्रत्येक प्रहर में शिवलिंग को स्नान कराते समय अलग-अलग मंत्रों का जाप भी करना चाहिए। प्रथम प्रहर में ‘ह्रीं ईशानाय नमः’, दूसरे प्रहर में ‘ह्रीं अघोराय नमः’, तीसरे प्रहर में ‘ह्रीं वामदेवाय नमः’ तथा चौथे प्रहर में ‘ह्रीं सद्योजाताय नमः’ का जाप करें। शिवलिंग को स्नान कराते समय मंत्र का जाप करें।

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इसके अलावा शास्त्रों में यह भी उल्लेख है कि इस दिन व्रती को दूसरे, तीसरे तथा चौथे प्रहर में पूजन, अर्घ्य, जप तथा कथा सुननी चाहिए। इसके साथ ही स्तोत्र का पाठ करना चाहिए और भगवान को प्रणाम करना चाहिए। जबकि एक अन्य मत के अनुसार शिव पूजा चंदन और तिल से शुरू करके सभी उपचारों के साथ की जानी चाहिए, अग्नि में चावल और घी मिश्रित भात यानी पके हुए चावल की आहुति देनी चाहिए। फिर इस हवन के बाद एक साबुत फल भी अर्पित करना चाहिए। आमतौर पर लोग सूखा नारियल फल चढ़ाते हैं। इसके अलावा आज शिव कथा का पाठ करना चाहिए और आधी रात, तीसरे पहर और चौथे पहर में फिर से प्रसाद चढ़ाना चाहिए और फिर अगले दिन सूर्योदय के समय ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करना चाहिए।

महाशिवरात्रि 4 प्रहर पूजा मुहूर्त 2025

  • रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय – 18:43 से 21:47 तक
  • रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय – 21:47 से 00:51, 27 फरवरी
  • रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय – 00:51 से 03:55, 27 फरवरी
  • रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय – 27 फरवरी 03:55 से 06:59 तक

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