India News (इंडिया न्यूज़), Mora Mata Temple: उत्तराखंड की पहाड़ियों में स्थित मोरा माता मंदिर, न केवल अपने धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसके आसपास के क्षेत्र में जंगली जानवरों के दर्शन के कारण भी चर्चा का केंद्र बना रहता है। लोगों का मानना है कि यहाँ आए दिन पैंथर जैसे जंगली जानवर भी माता के दर्शन कर लौट जाते हैं, जिससे इस मंदिर की दिव्यता और भी बढ़ जाती है।

मंदिर का धार्मिक महत्व

प्रत्येक सोमवार को यहाँ बड़ी संख्या में महिलाएँ पूजा-अर्चना करने के लिए आती हैं, जिससे यह स्थान विशेष रूप से महिला श्रद्धालुओं के लिए महत्वपूर्ण हो गया है। मंदिर के पुजारी रामशरण दास त्यागी के अनुसार, यह मंदिर प्राचीन समय से ही एक विकट जंगल में स्थित था।

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मंदिर की स्थापना की कहानी

गढ़मोरा से आए चार भाइयों ने इस क्षेत्र में प्रवेश किया और यहाँ ठहरने के लिए स्थान बनाया। उनके साथ गढ़ मोरा से मोरा माता भी यहाँ आई थीं। चारों भाइयों ने अपनी ठहरने की व्यवस्था तो कर ली, लेकिन माता के लिए कोई स्थान नहीं बनाया। तभी, सपने में माता ने उन्हें दर्शन दिए और कहा कि उनके ठहरने के लिए भी स्थान बनाया जाए। इस पर भाइयों ने माता रानी के लिए एक ठहरने की व्यवस्था की।

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ब्रह्मबाद गांव की स्थापना

इन चार भाइयों में से तीन तो अगली सुबह वापस लौट गए, लेकिन एक भाई वहीं ठहर गया। उसी के द्वारा ब्रह्मबाद गांव की स्थापना का दावा किया जाता है। यहाँ के लोग मोरा माता को अपनी कुलदेवी मानते हैं और उन्हें पूरे श्रद्धा भाव से पूजते हैं। गांव का कोई भी व्यक्ति अगर माता के सामने अपनी मन्नत मांगता है, तो विश्वास है कि मोरा माता उसकी मन्नतें पूरी करती हैं।

मोरा माता मंदिर, आस्था, धार्मिक महत्व और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का अद्भुत संगम है। यहाँ का प्राकृतिक वातावरण और जंगली जानवरों की उपस्थिति इसे और भी रहस्यमयी और विशेष बनाती है। यह मंदिर स्थानीय समुदाय के विश्वास और संस्कृति का प्रतीक है और यह अपने आप में एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है।

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