India News (इंडिया न्यूज), Maha kumbh 2025: महाकुंभ, जो भारत में आस्था और पवित्रता का सबसे बड़ा पर्व है, प्रयागराज में महाशिवरात्रि तक आयोजित किया जा रहा है। देशभर से हजारों साधु-संत, नागा बाबा, और भक्तजन इस महापर्व में शामिल होते हैं। इस भीड़ में जहां आईआईटियन बाबा और मस्कुलर बाबा जैसे विशिष्ट संत चर्चा का विषय बने हुए हैं, वहीं नकली साधुओं की मौजूदगी ने कई सवाल खड़े किए हैं।

महाकुंभ में नकली साधुओं का पर्दाफाश

भारत में अक्सर ऐसे लोग देखे जाते हैं जो साधु का वेश धारण कर लोगों को ठगने का प्रयास करते हैं। इनके लिए साधु बनना न तो आध्यात्मिक साधना है और न ही धर्म से जुड़ा हुआ, बल्कि यह सिर्फ एक धंधा बन गया है। महाकुंभ की भीड़ में भी ऐसे कई नकली साधु घूम रहे हैं, जो भोले-भाले लोगों से पैसे ऐंठने का प्रयास करते हैं।

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असली अघोरियों ने नकली साधु को पकड़ा

हाल ही में सोशल मीडिया पर एक ऐसा ही मामला सामने आया, जहां एक नकली साधु को असली अघोरियों ने रंगे हाथों पकड़ लिया। इस नकली साधु ने काले कपड़े पहन रखे थे, माथे पर चंदन का टीका और गले में कई मालाएं डाली हुई थीं। वह महाकुंभ की भीड़ में लोगों से पैसे मांग रहा था। लेकिन अघोरियों ने उसकी असलियत तुरंत पहचान ली।

सच का खुलासा और सजा

अघोरियों ने पहले नकली साधु के गले से सभी मालाएं और ताबीज हटवाए। इसके बाद उससे सख्ती से पूछताछ की गई। अपनी गलती स्वीकारते हुए उसने बताया कि वह अपनी परिवार की परवरिश के लिए ऐसा कर रहा था।

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मुस्लिम निकला नकली साधु

जब अघोरियों ने उससे उसके कपड़े उतरवाए, तो यह खुलासा हुआ कि वह मुस्लिम था। शख्स ने अपनी गलती स्वीकार की और माफी मांगी। संतों ने उसे चेतावनी देकर छोड़ दिया, लेकिन इस घटना ने महाकुंभ में नकली साधुओं की मौजूदगी पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए।

ढोंगी साधुओं से बचने की अपील

महाकुंभ में लाखों श्रद्धालु अपनी आस्था लेकर आते हैं। ऐसे में नकली साधुओं का होना न केवल धर्म और आस्था का अपमान है, बल्कि यह भोले-भाले भक्तों के साथ धोखाधड़ी भी है। आयोजकों और श्रद्धालुओं से अपील है कि वे साधुओं की सच्चाई को जांचने-परखने के बाद ही उन्हें दान दें।

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असली और नकली साधुओं में फर्क कैसे करें?

  1. आचरण और व्यवहार: असली साधु का आचरण शांत और विनम्र होता है। वे किसी भी प्रकार से धन या वस्तुओं की मांग नहीं करते।
  2. ज्ञान और साधना: असली साधु गहन आध्यात्मिक ज्ञान और साधना में डूबे रहते हैं। वे धर्मग्रंथों और उपदेशों के माध्यम से लोगों को सही मार्ग दिखाते हैं।
  3. भौतिक चीजों से दूरी: असली साधु भौतिक वस्तुओं, धन, और वैभव से दूर रहते हैं। यदि कोई व्यक्ति साधु का वेश धारण कर पैसे मांग रहा हो, तो सावधान रहें।

महाकुंभ में आस्था और सतर्कता का महत्व

महाकुंभ जैसे पर्व में आस्था का विशेष महत्व है। ऐसे में नकली साधुओं की मौजूदगी इस पर्व की पवित्रता पर सवाल खड़े करती है। अघोरियों ने नकली साधु का पर्दाफाश करके यह संदेश दिया है कि धर्म और साधना के नाम पर ठगी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। महाकुंभ में आए श्रद्धालुओं को चाहिए कि वे अपनी आस्था के साथ-साथ सतर्कता भी बनाए रखें।

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