India News (इंडिया न्यूज), Ratna Bhandar of Jagannath Temple: पुरी, ओडिशा में स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर न केवल अपनी भव्यता और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसके गुप्त खजाने — “रत्न भंडार” — की कहानियों ने भी लोगों के मन में उत्सुकता पैदा की है। यह खजाना सदियों पुरानी आस्था, इतिहास और परंपरा का प्रतीक है। 12वीं सदी में निर्मित इस मंदिर के खजाने में राजाओं और भक्तों द्वारा दान में दिए गए बहुमूल्य गहने और बर्तन शामिल हैं।
रत्न भंडार के दो हिस्से: बाहरी और भीतरी कक्ष
रत्न भंडार मुख्यतः दो हिस्सों में बंटा है — बाहरी और भीतरी कक्ष। बाहरी कक्ष को समय-समय पर खोलकर त्योहारों और विशेष आयोजनों के दौरान भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा को सजाने के लिए गहने निकाले जाते हैं। लेकिन भीतरी कक्ष पिछले 46 साल से बंद है। इसे आखिरी बार 1978 में खोला गया था।
आखिरी बार कब और क्यों खोला गया?
1978 का दौर
1978 में जब भीतरी कक्ष खोला गया था, उसमें साढ़े 12 हजार भरी (1 भरी = 11.66 ग्राम) सोने के गहने और 22 हजार भरी चांदी के बर्तन मिले थे। इन गहनों में बहुमूल्य रत्न भी जड़े हुए थे।
1985 का प्रयास
1985 में फिर से भीतरी कक्ष खोला गया, लेकिन इसके उद्देश्य और भीतर क्या मिला, इस बारे में सार्वजनिक रूप से कोई जानकारी नहीं दी गई।
2018 की घटना
2018 में ओडिशा हाईकोर्ट ने निरीक्षण के लिए भीतरी कक्ष खोलने का आदेश दिया। लेकिन तब यह कक्ष नहीं खोला जा सका क्योंकि चैंबर की चाबियां गायब थीं। यह मामला इतना गंभीर था कि पूरे राज्य में नाराजगी देखी गई। इसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने जांच के आदेश दिए। कुछ सप्ताह बाद “डुप्लीकेट चाबियां” मिलने का दावा किया गया, लेकिन इस पर कोई विस्तृत जानकारी सार्वजनिक नहीं हुई।
खजाने की सुरक्षा और अनसुलझे रहस्य
रत्न भंडार के गहने और बर्तन सदियों से भक्तों और राजाओं द्वारा दान किए गए हैं। यह खजाना न केवल ऐतिहासिक महत्व रखता है, बल्कि ओडिशा के लोगों की गहरी आस्था का केंद्र भी है।
रत्न भंडार के मुख्य कक्ष की चाबियों का गायब होना और फिर उनका अचानक “मिल जाना” अपने आप में रहस्य है। इस कक्ष के अंदर कितना खजाना है, इसे लेकर अब भी सिर्फ अनुमान ही लगाए जा सकते हैं।
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अन्य मंदिरों के गुप्त खजाने
भगवान जगन्नाथ मंदिर के खजाने की तरह ही केरल के श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर का खजाना भी दुनिया भर में प्रसिद्ध है। इस मंदिर के सात गुप्त तहखाने हैं, जिनमें से छह को खोला जा चुका है। इनसे भारी मात्रा में सोने और बहुमूल्य रत्न मिले हैं। लेकिन सातवां तहखाना अब भी बंद है। इसे खोलने की कोशिशों के दौरान कई बाधाएं आईं, जो आज भी अनसुलझे रहस्य बने हुए हैं।
भगवान जगन्नाथ मंदिर और इसके रत्न भंडार की कहानियां हमें भारतीय इतिहास, संस्कृति और धर्म की गहराई से परिचित कराती हैं। यह खजाना न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि इतिहास और परंपरा की अनमोल धरोहर भी है। रत्न भंडार का रहस्य आज भी लोगों के मन में रोमांच और जिज्ञासा का विषय बना हुआ है।