India News (इंडिया न्यूज), Hanuman Ji: हनुमान जी को हिंदू धर्म में कलयुग के जागृत देवता के रूप में पूजा जाता है। ऐसा माना जाता है कि रामायण के अंत में भगवान राम ने हनुमान जी को कलयुग की रक्षा के लिए पृथ्वी पर रहने का आदेश दिया था। यही कारण है कि वे भक्तों की हर समय सहायता के लिए उपलब्ध माने जाते हैं।
हनुमान जी का निवास स्थान: रामायण, महाभारत और पुराणों का दृष्टिकोण
रामायण, भागवत पुराण, और रामचरितमानस जैसे धर्मग्रंथों में हनुमान जी के निवास स्थान और उनकी उपस्थिति के संदर्भ में विभिन्न बातें बताई गई हैं। इन ग्रंथों के आधार पर हनुमान जी के निवास स्थान और उनकी गतिविधियों के विषय में निम्नलिखित विवरण मिलता है:
- रामकथा के समीप गुप्त उपस्थिति: तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस में उल्लेख है कि जहां भी रामकथा होती है, वहां हनुमान जी गुप्त रूप से उपस्थित रहते हैं। भक्तजन रामकथा के आयोजन के दौरान उनकी उपस्थिति का अनुभव कर सकते हैं। यही कारण है कि रामकथा को सुनना और उसमें भाग लेना एक आध्यात्मिक अनुभव माना जाता है।
- गंधमादन पर्वत पर निवास: श्रीमद्भागवत के अनुसार, हनुमान जी कलयुग में गंधमादन पर्वत पर निवास करते हैं। यह पर्वत हिमालय के कैलाश पर्वत के उत्तर में स्थित है। यहां उनकी तपस्या और भक्ति में लीन रहने की बात कही गई है।
- महाभारत में उल्लेख: महाभारत के अनुसार, अज्ञातवास के समय पांडव जब हिमालय क्षेत्र से गुजर रहे थे, तो भीम सहस्रदल कमल लेने के लिए गंधमादन पर्वत पहुंचे। वहां उन्होंने हनुमान जी को रास्ते में लेटे हुए पाया। हनुमान जी ने भीम की परीक्षा ली और उन्हें अहंकार से दूर रहने का पाठ पढ़ाया। यह घटना हनुमान जी के गंधमादन पर्वत पर निवास को प्रमाणित करती है।
हनुमान जी और तुलसीदास का संबंध
तुलसीदास जी की रामभक्ति की यात्रा में हनुमान जी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। ऐसा माना जाता है कि छठीं सदी में चित्रकूट के घाट पर हनुमान जी ने तुलसीदास को भगवान राम के दर्शन कराए थे। तुलसीदास ने अपने ग्रंथों में हनुमान जी की महिमा का वर्णन करते हुए उन्हें भक्तों की हर समस्या का समाधानकर्ता बताया है।
हनुमान जी की उपस्थिति का आध्यात्मिक महत्व
हनुमान जी को कलयुग में जागृत देवता माना जाता है। उनकी उपस्थिति भक्तों को यह विश्वास दिलाती है कि भगवान की कृपा हर समय उनके साथ है। रामचरितमानस के अनुसार:
“जहां सुमिरन करइं नर नारी। तहं रहु तहं हृदय मम धारी॥”
इस श्लोक का अर्थ है कि जहां भी कोई भक्त भगवान का स्मरण करता है, वहां हनुमान जी अपनी उपस्थिति से उसकी रक्षा करते हैं।
हनुमान जी का वास कलयुग में गंधमादन पर्वत पर बताया गया है, लेकिन वे हर उस स्थान पर गुप्त रूप से उपस्थित रहते हैं जहां रामकथा होती है। भक्तजनों के लिए उनकी उपस्थिति एक प्रेरणा और आश्रय का स्रोत है। उनकी भक्ति और उपासना से जीवन में सकारात्मकता और शांति आती है।
हनुमान जी की महिमा का अनुभव करने के लिए रामचरितमानस, रामकथा, और श्रीमद्भागवत जैसे धर्मग्रंथों का अध्ययन करना और नियमित रूप से उनका स्मरण करना अत्यंत लाभकारी है।