India News (इंडिया न्यूज), Tanot Mata War Story: राजस्थान के जैसलमेर से लगभग 120 किलोमीटर दूर, भारत-पाकिस्तान सीमा के पास स्थित तनोट माता का मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह भारतीय सेना के साहस और माता के चमत्कारिक आशीर्वाद की कहानी भी कहता है। 17 नवंबर 1965 को भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध के दौरान इस मंदिर ने चमत्कारिक घटनाओं को जन्म दिया, जिन्हें आज भी याद किया जाता है।

युद्ध का समय और तनोट माता का मंदिर

1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान, पाकिस्तानी सेना ने तनोट चौकी पर भारी गोलीबारी शुरू कर दी। तनोट माता का मंदिर इस चौकी के पास ही स्थित है। युद्ध के समय चौकी का अन्य सैन्य ठिकानों से संपर्क टूट गया था, जिससे यह स्थिति और भी चुनौतीपूर्ण हो गई। पाकिस्तानी सेना ने करीब 3,000 बम गिराए, लेकिन देवी तनोट माता की कृपा से न केवल कई बम निशाने से चूक गए, बल्कि जो बम गिरे, उनमें से अधिकांश फटे ही नहीं। यह घटना न केवल भारतीय सैनिकों का मनोबल बढ़ाने वाली थी, बल्कि इसे माता की चमत्कारिक शक्ति के रूप में भी देखा गया।

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चमत्कारिक सुरक्षा

पाकिस्तानी सेना की इस बमबारी का उद्देश्य भारतीय सेना का ध्यान भटकाना और उन्हें कमजोर करना था। लेकिन माता तनोट के आशीर्वाद से भारतीय सैनिक पूरी ताकत और साहस के साथ डटे रहे। वहां तैनात करीब 200 भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तानी सेना का डटकर मुकाबला किया और उन्हें पीछे हटने पर मजबूर कर दिया।

1971 का युद्ध और लोंगेवाला की विजय

1965 के युद्ध के चमत्कार के बाद, 1971 के भारत-पाक युद्ध में भी तनोट माता का मंदिर भारतीय सेना के लिए प्रेरणा का स्रोत बना। इस युद्ध में लोंगेवाला के ऐतिहासिक युद्धक्षेत्र में भारतीय सेना ने विजय प्राप्त की। यह विजय 16 दिसंबर 1971 को हासिल की गई, जिसे आज भी विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।

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विजय का प्रतीक और मंदिर का महत्व

तनोट माता का मंदिर आज भारतीय सेना की देखरेख में है और इसे वीरता और विश्वास का प्रतीक माना जाता है। युद्ध के दौरान फटे हुए और सुरक्षित बच गए बम मंदिर परिसर में आज भी प्रदर्शित किए गए हैं, जो उस समय की घटनाओं के गवाह हैं।

तनोट माता मंदिर: आस्था और प्रेरणा का स्रोत

आज तनोट माता का मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि यह भारतीय सेना और देशभक्ति का प्रतीक बन चुका है। हर साल हजारों श्रद्धालु इस मंदिर में माता का आशीर्वाद लेने आते हैं और भारतीय सेना के वीर सैनिकों की गाथा को नमन करते हैं।

तनोट माता के चमत्कार और भारतीय सेना की वीरता ने इस स्थान को न केवल ऐतिहासिक महत्व दिया है, बल्कि इसे आस्था और गर्व का प्रतीक भी बनाया है। यह स्थान न केवल युद्ध की कहानी कहता है, बल्कि यह सिखाता है कि विश्वास और साहस से किसी भी कठिनाई का सामना किया जा सकता है।

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