India News (इंडिया न्यूज), Phulera Dooj 2025: फाल्गुन माह की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाने वाला फुलेरा दूज एक प्रमुख धार्मिक पर्व है, जिसे विशेष रूप से भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी के प्रेम के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व ब्रज क्षेत्र में विशेष रूप से प्रसिद्ध है और इसे होली की शुरुआत के रूप में भी माना जाता है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी की पूजा-अर्चना की जाती है, और पूरे ब्रज में फूलों की वर्षा होती है। आइए जानते हैं कि फुलेरा दूज क्यों मनाया जाता है और इसका महत्व क्या है।

फुलेरा दूज कब मनाते हैं?

हर साल फाल्गुन माह की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को फुलेरा दूज मनाई जाती है। इस वर्ष, 2025 में फुलेरा दूज 1 मार्च को मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार, द्वितीया तिथि 1 मार्च को रात 03:16 बजे से प्रारंभ होगी और 2 मार्च को रात 12:09 बजे तक रहेगी। यह पर्व मथुरा, वृंदावन और पूरे ब्रज क्षेत्र में खास उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है।

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फुलेरा दूज क्यों मनाते हैं?

फुलेरा दूज का पर्व भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी के रिश्ते का प्रतीक है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, फुलेरा दूज के दिन से भगवान श्री कृष्ण ने राधा रानी के साथ फूलों की होली खेलना शुरू किया था। यह दिन भगवान कृष्ण और राधा रानी के प्रेम का प्रतीक माना जाता है।

फुलेरा दूज पर क्या हुआ था?

फुलेरा दूज की एक रोचक पौराणिक कथा है, जिसके अनुसार एक बार श्री कृष्ण कई दिनों से राधा रानी से मिल नहीं पाए थे। इससे राधा रानी नाराज हो गईं और मथुरा के सभी फूल मुरझा गए। राधा रानी के इस दुख को समझते हुए श्री कृष्ण खुद मथुरा पहुंचे और उनसे मिलने के बाद फूलों की वर्षा शुरू हो गई। कृष्ण जी ने राधा रानी पर फूल फेंके, और राधा रानी ने भी कृष्ण पर फूल फेंके। यह दृश्य देख सभी ग्वाल बाल और गोपियां भी श्री कृष्ण और राधा रानी पर फूलों की वर्षा करने लगे।

इसी घटना के बाद से फुलेरा दूज के दिन फूलों की होली खेलने की परंपरा की शुरुआत हुई। इसे अब हर साल बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।

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फुलेरा दूज का महत्व

फुलेरा दूज का पर्व विशेष रूप से ब्रज क्षेत्र में अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन श्री कृष्ण और राधा रानी की पूजा के साथ-साथ फूलों की होली खेली जाती है। इसके अतिरिक्त, माखन मिश्री का भोग भगवान को अर्पित किया जाता है, जो भगवान श्री कृष्ण का प्रिय प्रसाद है।

धार्मिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो फुलेरा दूज का पर्व एक शुभ मुहूर्त होता है। इसे वर्ष का अबूझ मुहूर्त माना जाता है, जिससे इस दिन शादी-सगाई जैसे शुभ कार्यों के लिए यह समय सबसे अच्छा माना जाता है।

इसके अलावा, यह पर्व भगवान श्री कृष्ण के प्रति श्रद्धा और प्रेम को व्यक्त करने का अवसर भी है। श्रद्धालु इस दिन अपनी आस्था के साथ भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी की पूजा करते हैं, ताकि उनके जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता आए।

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फुलेरा दूज पर कैसे करें पूजा?

फुलेरा दूज के दिन भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी की पूजा विधिपूर्वक करनी चाहिए। पूजा के दौरान फूलों की होली खेलें, माखन और मिश्री का भोग अर्पित करें और फिर भगवान से आशीर्वाद प्राप्त करें। इस दिन कुछ विशेष व्रत भी किए जाते हैं, जिनसे भक्तों को भगवान श्री कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है।

फुलेरा दूज एक बहुत ही खास पर्व है, जिसे श्री कृष्ण और राधा रानी के प्रेम और उनकी लीला के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इस दिन से होली का रंग भी बिखरने लगता है और पूरे ब्रज क्षेत्र में उत्सव का माहौल होता है। यह दिन धार्मिक आस्था, प्रेम और सौहार्द का प्रतीक है, और इस दिन श्री कृष्ण और राधा रानी के साथ फूलों की होली खेलते हुए लोग उनके आशीर्वाद के पात्र बनते हैं।

इस पर्व की आस्था और परंपराओं के साथ जुड़े रहकर हम भी अपने जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता का अनुभव कर सकते हैं।

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