India News (इंडिया न्यूज), Pradosh Vrat: हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है, लेकिन जब यह व्रत शनिवार के दिन पड़ता है, तो इसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाता है। इस साल पौष माह का शनि प्रदोष व्रत 28 दिसंबर 2024 को होगा , जो कि शनिवार के दिन पड़ रहा है। यह व्रत विशेष रूप से संतान सुख की प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है और इसे भगवान शिव के आशीर्वाद से जीवन में सुख, समृद्धि और संतान सुख की कामना की जाती है।
शिव पूजा और संतान गोपाल स्तोत्र का महत्व
शनि प्रदोष व्रत का आयोजन सूर्यास्त के समय होता है और यह भगवान शिव की पूजा का एक विशेष अवसर होता है। इस दिन विशेष रूप से संतान गोपाल स्तोत्र का पाठ करने का महत्व है। यह स्तोत्र भगवान कृष्ण को समर्पित है, जो संतान सुख देने वाले माने जाते हैं। पूजा का विधि-विधान भी बहुत सरल है, जिसमें भगवान शिव के साथ-साथ माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। संतान सुख की प्राप्ति के लिए यह व्रत बहुत प्रभावी माना जाता है।
जानें मुहूर्त
पौष, कृष्ण त्रयोदशी प्रारम्भ होगी 02:26 ए एम पर, दिसम्बर 28 को पौष कृष्ण त्रयोदशी समाप्त हो जाएगी 03:32 ए एम पर, दिसम्बर 29 प्रदोष काल, 05:33 पी एम से 08:17 पी एम रहेगा। इस समय भगवान शिव का पूजन करना विशेष रूप से फलदायी होगा। पूजा में गंगा जल से भगवान शिव का अभिषेक, बेल पत्र अर्पित करना, पुष्प अर्पण और शिव के प्रिय पदार्थों का भोग अर्पित करना आवश्यक होता है। साथ ही, इस दिन कोई भी शुभ कार्य करने से पहले भगवान गणेश की पूजा भी की जाती है, क्योंकि गणेश जी को प्रथम पूज्य देवता माना जाता है।
व्रत की कथा और संतान सुख की प्राप्ति
शनि प्रदोष व्रत की एक प्रसिद्ध कथा है, जो इस व्रत के महत्व को और भी बढ़ा देती है। एक बार एक सेठ और उसकी पत्नी जिनके पास बहुत सारी संपत्ति थी, लेकिन वे संतान सुख से वंचित थे, ने इस व्रत को करने का निश्चय किया। उन्होंने अपने सारे कार्य विश्वस्त सेवकों को सौंपकर तीर्थ यात्रा करने का मन बनाया और गंगा किनारे एक संत से आशीर्वाद लिया। संत ने उन्हें शनि प्रदोष व्रत करने की सलाह दी और बताया कि भगवान शिव की पूजा से उनकी संतान की इच्छा पूरी हो जाएगी।
सेठ और उनकी पत्नी ने संत का आशीर्वाद लिया और घर लौटकर शनि प्रदोष व्रत किया। व्रत के प्रभाव से उन्हें संतान सुख प्राप्त हुआ। यह कथा हमें यह सिखाती है कि शनि प्रदोष व्रत विशेष रूप से संतान सुख की प्राप्ति के लिए अत्यंत लाभकारी है। जिन दंपत्तियों को संतान की प्राप्ति में कठिनाइयाँ आ रही हैं या संतान के अध्ययन और तरक्की में समस्याएँ आ रही हैं, उनके लिए यह व्रत वरदान स्वरूप साबित हो सकता है।
व्रत की सामग्री और पूजा विधि
शनि प्रदोष व्रत के दौरान विशेष पूजा सामग्री का उपयोग किया जाता है, जिसमें बेल पत्र, पुष्प, पंच मेवा, जौ की बालें, गंगा जल, पवित्र जल, शुद्ध देशी घी, शहद, कपूर, धूप, दीप, चंदन और अन्य सामग्रियां शामिल होती हैं। इन सामग्रियों से पूजा का आयोजन किया जाता है, जिससे भगवान शिव और पार्वती के साथ-साथ संतान सुख की प्राप्ति के लिए सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
क्यों किया जाता है व्रत?
शनि प्रदोष व्रत न केवल संतान सुख की प्राप्ति के लिए, बल्कि जीवन में सुख, समृद्धि और शांति के लिए भी किया जाता है। यह व्रत भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त करने का एक प्रभावी तरीका है। शनि प्रदोष व्रत के दौरान पूजा विधि का पालन करके, संतान सुख के साथ-साथ जीवन में कई अन्य खुशियाँ भी प्राप्त की जा सकती हैं।