India News (इंडिया न्यूज), Premanand Ji Maharaj Net Worth: आध्यात्मिक गुरु आचार्य प्रेमानंद जी महाराज आज के समय में भारत के सबसे प्रसिद्ध गुरुओं में से एक हैं। मथुरा-वृंदावन में निवास करने वाले प्रेमानंद जी महाराज से आशीर्वाद लेने के लिए भक्त देश-विदेश से आते हैं। उनके प्रवचन और उपदेश भक्तों के जीवन में शांति और प्रेरणा का संचार करते हैं। उनकी लोकप्रियता के साथ ही उनकी संपत्ति और भौतिक जीवन को लेकर भी कई सवाल उठते हैं। आइए, जानते हैं प्रेमानंद जी महाराज के जीवन और उनकी संपत्ति के बारे में विस्तार से।

महाराज के पास कितनी संपत्ति है?

मीडिया रिपोर्ट्स और महाराज जी के खुद के बयानों के अनुसार, उनके पास कोई निजी संपत्ति नहीं है। महाराज जी का कहना है कि वे एक साधु जीवन जीते हैं और भौतिक सुख-सुविधाओं से पूरी तरह दूर हैं। उनका मानना है कि एक साधु का जीवन समाज और धर्म के प्रति समर्पित होता है।

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10 रुपये भी नहीं हैं?

एक बार एक भक्त ने प्रेमानंद जी महाराज से उनकी दौलत के बारे में सवाल पूछा। महाराज जी ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया कि उनके पास किसी को देने के लिए 10 रुपये भी नहीं हैं। उनका कहना था कि अगर कोई उनसे 10 रुपये भी मांगे, तो उनके पास वह भी देने के लिए नहीं होगा। यह उनके सादगीपूर्ण जीवन का प्रमाण है।

भक्त के फ्लैट में निवास

प्रेमानंद जी महाराज का कोई निजी घर नहीं है। वे एक भक्त के फ्लैट में रहते हैं। उनके खाने-पीने और रहने की व्यवस्था उनके अनुयायियों द्वारा की जाती है। यहां तक कि बिजली और अन्य खर्चे भी भक्त ही वहन करते हैं। उनका कहना है कि एक साधु के लिए यह जीवनशैली उपयुक्त है।

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ऑडी कार में यात्रा

कई बार प्रेमानंद जी महाराज को ऑडी जैसी महंगी कारों में यात्रा करते हुए देखा गया है। इस पर वे स्पष्ट करते हैं कि यह कार उनकी निजी नहीं है। यह उनके भक्तों की है और वे अपनी यात्राओं के लिए इसे उपयोग करते हैं। उनका कहना है कि साधु का जीवन साधना और सेवा के लिए होता है, न कि भौतिक वस्तुओं के संग्रह के लिए।

मोबाइल और अन्य आधुनिक सुविधाएं

प्रेमानंद जी महाराज बताते हैं कि उनके पास न तो मोबाइल फोन है और न ही उन्हें यह चलाना आता है। वे सादगीपूर्ण जीवन जीते हैं और केवल आवश्यक वस्त्र ही धारण करते हैं। उनका कहना है कि साधु जीवन में इन चीजों की कोई आवश्यकता नहीं है।

प्रेमानंद जी महाराज का जीवन सादगी, त्याग और सेवा का आदर्श उदाहरण है। उनकी कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं है। वे जो उपदेश देते हैं, उसे अपने जीवन में पूरी तरह उतारते हैं। उनकी यह सादगी और निस्वार्थ भावना ही उन्हें एक आदर्श गुरु बनाती है। उनके भक्त उनके इस जीवन दर्शन से प्रेरणा लेते हैं और इसे अपने जीवन में अपनाने की कोशिश करते हैं।

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