India News (इंडिया न्यूज), Punishment For Rapist In Hindu Purana: हैवानों ने ‘धरती के भगवान’ से लेकर छोटी-छोटी बच्चियों तक को अपना शिकार बनाया है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़े बताते हैं कि हर दिन औसतन 86 रेप केसेस दर्ज किए जाते हैं। इन दिनों पूरे देश में जिस केस की चर्चा है, वो है कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुई हैवानियत। इसके बाद से रेप की सजा और कड़ी करने की कवायद चल रही है लेकिन क्या आप जानते हैं कि पुराणों में रेपिस्ट के लिए जेल-फांसी से भी बढ़कर सजा है? गरुण पुराण में अपराधी के लिए जो सजा है, उसे सुनकर हैवानों की रूह कांप जाएगी।

‘कोई प्रायश्चित नहीं’

हिंदू पुराणों में दुष्कर्म, यौनाचार और व्यभिचार को महापाप माना गया है और इसी आधार पर इसकी सजा भी तय की गई है। गरुण पुराण के अनुसार दुष्कर्म एक ऐसा पापकर्म है जिसका कोई प्रायश्चित नहीं है। गरुड़ पुराण के अलावा नारद पुराण और ब्रह्मवैवर्त पुराण समेत कई ग्रंथों में दुष्कर्म को हत्या से भी नीच कर्म के तौर पर वर्णित किया गया है और इसके लिए दंड तो है लेकिन पाप से मुक्ति का कोई प्रावधान नहीं है।

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क्या होती है हैवानों की सजा?

गरुड़ पुराण में बताया गया है कि दुष्कर्म के अपराधी को जिंदा रहते हुए तो सजा मिलती ही है लेकिन मौत के बाद नर्क में उसकी आत्मा को अथाह यातनाओं का दंड भुगतना पड़ता है। ऐसे पापियों के लिए विशेष नर्कों का वर्णन किया गया है। ऐसे पापियों को शारीरिक, मानसिक और आत्मिक तौर पर कठोर सजा दी जाती है।

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आत्मा के साथ होता है ये सब

गरुड़ पुराण के एक श्लोक में दुष्कर्म करने वाले व्यक्ति के लिए जो सजा बताई गई है, उसे सुनकर हैवानों की रूह कांप जाएगी। खास बात यह है कि ये सजा पापी को धरती पर जीते जी तो मिलती ही हैं, साथ ही नरक में भी पापी को यह सजा भुगतनी होती है। गरुण पुराण में बताया गया है कि ‘दुष्कर्म का पापी जब तक प्राण ना त्याग दे, तब तक उसे ताम्र यानी लोहे की तपती हुई प्रतिमा से आलिंगन कराया जाए। फिर उसकी आत्मा तब तक नर्क सहे जब तक सूर्य और चंद्रमा का अस्तित्व है’।