India News (इंडिया न्यूज), Jyotishastra Gyan: आजकल बॉलीवुड और क्रिकेट जगत के कई सितारे जैसे विराट कोहली और रणबीर कपूर को कान में बाली पहने हुए देखा जाता है। यह सिर्फ एक फैशन स्टेटमेंट नहीं है, बल्कि इसके पीछे गहराई में छिपे कई अन्य कारण भी हो सकते हैं। इन कारणों को समझने के लिए हमें ज्योतिष, आयुर्वेद, और धार्मिक मान्यताओं पर एक नज़र डालनी होगी।

ज्योतिषीय महत्व

ज्योतिष के अनुसार, कान में बाली पहनने से शरीर की ऊर्जा संतुलित रहती है। यह केवल सौंदर्य का प्रतीक नहीं है, बल्कि स्वास्थ्य और मानसिक शांति को बेहतर बनाने में भी सहायक है।

  • ग्रहों के प्रभाव को कम करना: ज्योतिषीय उपायों के अनुसार, राहु और केतु जैसे ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए कान में धातु पहनने की सलाह दी जाती है।
  • सकारात्मक ऊर्जा का संचार: माना जाता है कि बाली पहनने से कुछ ग्रहों के सकारात्मक प्रभाव बढ़ जाते हैं, जो जीवन में समृद्धि और खुशहाली लाने में मदद कर सकते हैं।

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धार्मिक महत्व

भारतीय धार्मिक परंपराओं में, कान को विशेष महत्व दिया गया है। कान में बाली पहनना भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक हो सकता है।

  • भगवान शिव और विष्णु का सम्मान: कुछ धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कान भगवान शिव और विष्णु से जुड़े हुए हैं। कान में बाली पहनने से इन देवताओं के प्रति सम्मान व्यक्त किया जाता है।
  • संस्कार और परंपरा: कई समुदायों में, बचपन में कान छिदवाना और बाली पहनना एक संस्कार माना जाता है। यह न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक महत्व भी रखता है।

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आयुर्वेदिक दृष्टिकोण

आयुर्वेद के अनुसार, कान के निचले हिस्से में छेद करना और उसमें धातु पहनना शरीर के लिए कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर सकता है।

  • पाचन तंत्र पर प्रभाव: ऐसा माना जाता है कि कान के कुछ बिंदु पाचन तंत्र से जुड़े होते हैं। इन बिंदुओं पर दबाव डालने से पाचन क्रिया में सुधार हो सकता है।
  • प्रजनन तंत्र को मजबूती: कान के निचले हिस्से में बाली पहनने से प्रजनन तंत्र से जुड़ी नसों को भी लाभ मिलता है।
  • मस्तिष्क और मनोदशा: कान में धातु पहनने से मस्तिष्क की कार्यक्षमता में सुधार हो सकता है और तनाव कम हो सकता है।

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फैशन से परे एक सोच

युवाओं और सितारों के बीच कान में बाली पहनना भले ही फैशन का हिस्सा लगता हो, लेकिन इसके पीछे छिपे आयुर्वेदिक, ज्योतिषीय और धार्मिक कारण इसे और भी खास बनाते हैं। यह न केवल आत्म-अभिव्यक्ति का माध्यम है, बल्कि स्वास्थ्य और आध्यात्मिकता का संतुलन बनाए रखने का भी एक तरीका है।

कान में बाली पहनना केवल एक स्टाइल स्टेटमेंट नहीं है। यह एक ऐसा अभ्यास है जो भारतीय संस्कृति, स्वास्थ्य, और ज्योतिषीय मान्यताओं से गहराई से जुड़ा हुआ है। चाहे आप इसे फैशन के लिए अपनाएं या इसके पीछे के गहरे कारणों को समझकर, यह एक ऐसी परंपरा है जो सदियों से हमारी संस्कृति का हिस्सा रही है।

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