India News (इंडिया न्यूज), 7 Evil Wives In Kalyug: वाल्मीकि रामायण की कथा तीन मुख्य घटनाओं के इर्द-गिर्द घूमती है—एक, कैकेयी द्वारा राम के वनवास की मांग; दो, शूर्पणखा का राम को प्रणय-निवेदन और अस्वीकृति पर लक्ष्मण द्वारा उसका अंग-भंग करना; और तीन, सीता द्वारा हिरण की मांग और लक्ष्मण को छोड़कर जाने के लिए दबाव डालना। इन घटनाओं का परिणाम यह हुआ कि सीता असुरक्षित हो गईं, रावण द्वारा उनका अपहरण हुआ, और युद्ध का कारण बना जिससे रामायण की रचना हुई।

ये घटनाएं यह संकेत देती हैं कि यदि स्त्रियों में चंचलता न हो और वे इन दुर्गुणों से मुक्त हों, तो जीवन को सुखद और सरलता से जिया जा सकता है। रामायण में कैकेयी और शूर्पणखा जैसी महत्वाकांक्षी और साहसी स्त्रियों को नकारात्मक और घृणित छवि में प्रस्तुत किया गया है, जो उस समय की सामाजिक संरचना को दर्शाता है।

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गोस्वामी तुलसीदास की रामचरितमानस में एक प्रसिद्ध दोहा है:

“नारी सुभाव सत्य सब कहहीं, अवगुण आठ सदा उर रहहीं
साहस अनृत चपलताता माया, भय अबिबेक असौच अदाया”

इस दोहे में रावण अपनी पत्नी मंदोदरी से स्त्रियों के आठ अवगुणों का वर्णन करता है। वह बताता है कि कैसे ये अवगुण उनकी प्रवृत्ति का हिस्सा हैं और समाज पर उनका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। आइए इन अवगुणों को विस्तार से समझें:

1. साहस (साहसिकता में विवेक का अभाव)

रावण का मानना था कि स्त्रियों में साहस होता है, लेकिन अक्सर वे इसे गलत जगह प्रयोग करती हैं। साहस का होना अच्छी बात है, लेकिन बिना सोचे-समझे इसे दिखाना उल्टा असर डाल सकता है। स्त्रियां अक्सर अपनी इच्छाओं के विपरीत कुछ देखकर उसे बदलने की कोशिश करती हैं, चाहे इसके परिणाम कुछ भी हों।

2. अनृत (झूठ बोलने की प्रवृत्ति)

रावण ने कहा कि स्त्रियां अपने कोमल हृदय के कारण अक्सर झूठ बोलती हैं। वे अपने प्रियजनों की रक्षा और समस्याओं से बचने के लिए इस अवगुण का सहारा लेती हैं। मंदोदरी ने भी कई बार रावण से बातें छिपाईं और युद्ध के समय भी कई झूठ बोले।

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3. चपलता (अस्थिरता)

रावण के अनुसार स्त्रियां अस्थिर और चंचल होती हैं। उनका मन जल्दी बदलता है और वे एक ही स्थिति पर लंबे समय तक नहीं टिकतीं, जिससे वे कभी-कभी परिस्थितियों को अपने नियंत्रण में नहीं रख पातीं।

4. माया (स्वार्थपूर्ण चालाकी)

रावण का चौथा अवगुण था माया रचना। वह कहता है कि स्त्रियां स्वार्थी होती हैं और अपने लाभ के लिए चालें चलने में कुशल होती हैं। परिस्थितियों को अपने अनुकूल बनाने के लिए वे कई प्रकार की माया रचती हैं, चाहे सामने वाले को भ्रमित करना हो या अपनी बात मनवाने के लिए तरह-तरह की युक्तियाँ आजमानी हों।

5. भय (घबराहट)

रावण ने कहा कि स्त्रियां साहसी होते हुए भी विकट परिस्थितियों में जल्दी घबरा जाती हैं। मंदोदरी ने भी जब श्रीराम और उनकी सेना को लंका में देखा, तो अपने पति रावण को युद्ध न करने और सीता को वापस लौटाने की सलाह दी।

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6. अविवेक (भावावेश में निर्णय लेना)

रावण का छठा अवगुण अविवेक है। स्त्रियां कई बार बिना सोचे-समझे निर्णय लेती हैं और बाद में इसका पछतावा करती हैं। उनके निर्णय अक्सर भावनाओं से प्रेरित होते हैं और कभी-कभी स्थिति को और बिगाड़ देते हैं।

7. अदया (निर्दयता)

रावण ने बताया कि स्त्रियां कोमल हृदय वाली होती हैं, लेकिन जिस बात पर उन्हें दया न आए, उस पर वे कभी दया नहीं दिखातीं। एक बार किसी की नजरों से गिर जाने पर वे उसे आसानी से माफ नहीं करतीं।

आधुनिक दृष्टिकोण

यह समझना आवश्यक है कि ये अवगुण उस समय की परिस्थितियों और समाज की मान्यताओं के आधार पर प्रस्तुत किए गए थे। वर्तमान समाज में स्त्रियों की भूमिका और छवि में भारी परिवर्तन आया है। स्त्रियां आज हर क्षेत्र में अपने कौशल और शक्ति का प्रदर्शन कर रही हैं। साहस, सत्य, स्थिरता और ममता को स्त्रियों की सकारात्मक विशेषताओं के रूप में देखा जाता है, और समाज को चाहिए कि वह इनके विकास के लिए नए दृष्टिकोण और औजार निर्मित करे।

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Disclaimer: इंडिया न्यूज़ इस लेख में सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए बता रहा हैं। इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।