India News (इंडिया न्यूज), Salasar Balaji: राजस्थान के चूरू जिले में स्थित सालासर बालाजी मंदिर भारत में हनुमान भक्तों की अटूट आस्था का केंद्र है। यह मंदिर अपनी अनोखी मूर्ति और चमत्कारी घटनाओं के लिए प्रसिद्ध है। यहां विराजमान हनुमानजी की मूर्ति का स्वरूप अन्य मंदिरों से अलग है, क्योंकि यह मूर्ति गोल चेहरे और दाढ़ी-मूंछ के साथ स्थापित है। ऐसा माना जाता है कि भगवान हनुमान ने अपने भक्त मोहनदास को इसी रूप में दर्शन दिए थे, जिसके बाद से उनकी इसी रूप में पूजा होने लगी।

बालाजी की चमत्कारी प्रकट कथा

इस मंदिर की स्थापना का इतिहास बहुत ही रोचक और दैवीय घटनाओं से भरा हुआ है। कहा जाता है कि वर्ष 1754 में राजस्थान के नागौर जिले के असोटा गांव में एक जाट किसान अपने खेत में हल चला रहा था, तभी उसका हल एक कठोर पत्थर से टकराया। जब उसने पत्थर को साफ किया तो उस पर भगवान हनुमान की छवि उभर आई। यह देखकर किसान और उसकी पत्नी ने आदरपूर्वक मूर्ति को प्रणाम किया और बाजरे के चूरमे का पहला भाग भगवान को अर्पित किया। तब से मंदिर में बाजरे के चूरमे का विशेष भोग लगाया जाता है।

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सपने में आये बालाजी

इस चमत्कारी घटना की खबर पूरे गांव में फैल गई और फिर असोटा के ठाकुर को स्वप्न में निर्देश मिला कि इस मूर्ति को सालासर ले जाया जाए। दूसरी ओर, सालासर के संत मोहनदास के स्वप्न में भी भगवान ने दर्शन दिए और उन्हें मूर्ति लाने का आदेश दिया। यह भी कहा जाता है कि जिस बैलगाड़ी से मूर्ति लाई जा रही थी वह अपने आप एक स्थान पर रुक गई। इसे दैवीय संकेत मानते हुए उसी स्थान पर हनुमानजी की मूर्ति स्थापित कर दी गई।

मुस्लिम कारीगरों का योगदान

सालासर बालाजी मंदिर की वास्तुकला भी बहुत अद्भुत है। इस भव्य मंदिर के निर्माण में संगमरमर का उपयोग किया गया है और इसके दरवाजे और बर्तन चांदी के बने हैं। मंदिर का निर्माण कार्य मुस्लिम कारीगरों नूरा और दाऊ ने किया था, जो इसे सांप्रदायिक सद्भाव का एक अद्भुत उदाहरण बनाता है। यहां हनुमानजी की मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाया जाता है, जिसे राम की आयु बढ़ाने का प्रतीक माना जाता है। भक्तों का मानना ​​है कि बालाजी के दर्शन मात्र से उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

भक्तों का लगा रहता है सैलाब

हर साल चैत्र पूर्णिमा और आश्विन पूर्णिमा के अवसर पर यहां विशाल मेले का आयोजन होता है। इन दिनों सालासर धार्मिक महाकुंभ का रूप ले लेता है, जहां लाखों श्रद्धालु भगवान के दर्शन के लिए उमड़ते हैं। मंदिर सुबह 4 बजे भक्तों के लिए खुल जाता है और पूरे दिन अलग-अलग समय पर आरती की जाती है। खासकर मंगलवार को सुबह 10:30 बजे राजभोग आरती देखने के लिए बड़ी संख्या में भक्त मंदिर पहुंचते हैं।

यात्रा और सुविधाएं

सालासर बालाजी मंदिर में आने वाले भक्तों के लिए ठहरने और खाने-पीने की अच्छी व्यवस्था उपलब्ध है। यहां कई धर्मशालाएं और ट्रस्ट हैं जो भक्तों को ठहरने की सुविधा देते हैं। मंदिर परिसर में रेस्टोरेंट भी हैं, जहां भक्तों को मुफ्त प्रसाद बांटा जाता है।

हनुमानजी के प्रति अटूट श्रद्धा का केंद्र

भारत में हनुमानजी के कई प्रसिद्ध मंदिर हैं, लेकिन सालासर बालाजी मंदिर अपनी अनूठी मूर्ति और चमत्कारी घटनाओं के कारण भक्तों के बीच विशेष स्थान रखता है। हर भक्त अपनी मन की मुराद लेकर यहां आता है और ऐसा माना जाता है कि कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं लौटता। अगर आप भी हनुमानजी के परम भक्त हैं और राजस्थान की यात्रा पर हैं, तो सालासर बालाजी के दर्शन जरूर करें और दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करें।

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