India News (इंडिया न्यूज), Salasar Balaji: राजस्थान के चूरू जिले में स्थित सालासर बालाजी मंदिर को लेकर इन दिनों सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। इस वीडियो में दावा किया जा रहा है कि एक रहस्यमयी साधु हर रात मंदिर में पूजा के लिए आता है और रहस्यमयी तरीके से गायब हो जाता है। वीडियो के वायरल होते ही भक्तों में उत्सुकता और भक्ति और भी बढ़ गई है। हालांकि इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं है, लेकिन सालों से यह मंदिर अपने चमत्कारों और अद्भुत घटनाओं के लिए भक्तों के बीच खास पहचान रखता है।
क्यों प्रसिद्ध है बालाजी धाम?
सालासर बालाजी मंदिर हनुमान जी के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है, जहां भगवान हनुमान की मूर्ति एक खास रूप में स्थापित है। यहां उन्हें दाढ़ी-मूंछ और गोल चेहरे के साथ दर्शाया गया है, जो किसी भी अन्य हनुमान मंदिर से अलग है। इस रूप के पीछे एक दिलचस्प कहानी है। कहा जाता है कि जब बालाजी ने पहली बार मंदिर के पहले सेवक मोहनदास को दर्शन दिए थे, तो वे इसी रूप में दिखाई दिए थे। मोहनदास ने प्रार्थना की कि वे सदैव इसी रूप में रहें और तब से सालासर बालाजी की इसी रूप में पूजा की जाती है।
हनुमान भगवान की निकली थी मूर्ति
सालासर बालाजी की स्थापना 1754 में हुई थी, जब नागौर जिले के असोटा गांव में एक जाट किसान अपने खेत में हल चला रहा था। हल लगने पर जमीन से पत्थर जैसी आकृति निकली, जिसे साफ करने पर हनुमान जी की मूर्ति निकली। किसान और उसकी पत्नी ने उस मूर्ति को पूजनीय माना और सबसे पहले बाजरे के चूरमे का भोग लगाया। यही कारण है कि आज भी सालासर बालाजी मंदिर में बालाजी को बाजरे का आटा चढ़ाया जाता है।
सपने में आये थे भगवान
इस घटना की खबर गांव के ठाकुर तक पहुंची और उसी रात ठाकुर को स्वप्न आया कि इस मूर्ति को सालासर ले जाया जाए। उधर, सालासर भक्त मोहनदास को भी स्वप्न में आदेश मिला कि मूर्ति को उस स्थान पर स्थापित किया जाए, जहां बैलगाड़ी अपने आप रुकती है। आदेशानुसार मूर्ति को सालासर लाया गया और वह स्थान आज सालासर बालाजी मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है।
मुस्लिम कारीगरों ने करवाया था मंदिर का निर्माण
मंदिर का निर्माण कार्य मुस्लिम कारीगर नूरा और दाऊ ने करवाया था। सफेद संगमरमर से बने इस मंदिर की बनावट और खूबसूरती आज भी श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करती है। मंदिर में इस्तेमाल किए गए बर्तन और दरवाजे चांदी के हैं, जो इसकी भव्यता को और बढ़ाते हैं। मंदिर की एक और खास बात यह है कि यहां के कुओं का पानी भी चमत्कारी माना जाता है। भक्तों का मानना है कि बालाजी के आशीर्वाद से यह पानी औषधीय गुणों से भरपूर है।
मंदिर पर रहती है श्रद्धलुओं की भारी भीड़
सालासर बालाजी मंदिर में वैसे तो साल भर भक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन चैत्र पूर्णिमा और आश्विन पूर्णिमा पर यहां विशेष मेला लगता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु जुटते हैं। उस समय सालासर एक छोटे से शहर से बदलकर महाकुंभ का नजारा पेश करता है। यहां भक्त सिर्फ दर्शन के लिए ही नहीं, बल्कि अपनी मनोकामनाएं लेकर भी आते हैं और मानते हैं कि बालाजी के दरबार से कोई खाली हाथ नहीं लौटता।
क्या हैं दर्शन के नियम?
मंदिर में दर्शन का समय भी भक्तों के लिए खास तौर पर तय किया गया है। मंदिर सुबह 4 बजे खोला जाता है, जिसके बाद 5 बजे मंगल आरती होती है। मंगलवार को विशेष रूप से सुबह 10:30 बजे राजभोग आरती का आयोजन किया जाता है। शाम को 6 बजे धूप आरती और मोहनदास जी की आरती होती है। फिर शाम 7:30 बजे मुख्य बालाजी आरती और रात 8:15 बजे बाल भोग आरती होती है। रात 10 बजे शयन आरती के साथ मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं। अगले दिन सुबह 4 बजे मंदिर फिर से भक्तों के लिए खुल जाता है।
क्या है रहस्यमयी साधु का सच?
सालासर बालाजी मंदिर भक्तों के लिए हर तरह की सुविधाएं मुहैया कराता है। यहां धर्मशालाएं, ट्रस्ट और लंगर की व्यवस्था है, जहां कोई भी भक्त बिना किसी परेशानी के रुक सकता है और भोजन कर सकता है। जहां एक ओर मंदिर की ऐतिहासिकता और आस्था इसे अनोखा बनाती है। यह चमत्कार है या किसी साधु की साधना का नतीजा, इसका जवाब अभी भी रहस्य बना हुआ है। लेकिन इतना तो तय है कि सालासर बालाजी की दिव्यता और चमत्कारी घटनाएं भक्तों को बार-बार इस धाम की ओर खींच लाती हैं। मंदिर प्रशासन से जुड़े लोगों का कहना है कि बालाजी की कृपा से यहां चमत्कार होते रहे हैं और यह स्थान सच्चे मन से प्रार्थना करने वालों की हर मनोकामना पूरी करता है।
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