India News (इंडिया न्यूज), Secrets of Mahabharat: भारत के महाकाव्य “महाभारत” को केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि ज्ञान-विज्ञान का अद्भुत संग्रह माना जाता है। महर्षि वेद व्यास द्वारा रचित इस ग्रंथ में ऐसी अनेक घटनाओं और तकनीकों का उल्लेख है, जो आज के वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बेहद प्रासंगिक प्रतीत होती हैं। क्या महाभारत में वर्णित ‘संजय दृष्टि’ और चंद्रमा से जुड़े प्रसंग भविष्य की तकनीकी उपलब्धियों की रूपरेखा थे? आइए इस रहस्य को समझते हैं।
संजय दृष्टि: लाइव ट्रांसमिशन का आदिकल्प
महाभारत के भीष्म पर्व के अध्याय 2 के श्लोक 32 में वर्णित है:
“तत्र स्थितो महाराज दृष्ट्वा युद्धं महात्मनाम्। संजयो धर्मराजाय सर्वं आख्यातवां ततः॥”
भावार्थ: “हे महाराज! संजय वहीं स्थित रहकर युद्धभूमि में घटित हर दृश्य को देख और जानकर धर्मराज युधिष्ठिर को कहा सुनाता है।”
इस श्लोक में संजय की ‘दिव्य दृष्टि’ का उल्लेख है, जिसके माध्यम से उन्होंने कुरुक्षेत्र के युद्ध का आँखों देखा हाल धृतराष्ट्र को सुनाया। इसे आज के संदर्भ में समझें तो यह लाइव सैटेलाइट ट्रांसमिशन या रिमोट सेंसिंग जैसी तकनीक का प्रतीक हो सकता है।
संजय की यह क्षमता मात्र दिव्य वरदान नहीं, बल्कि उस युग के तकनीकी दृष्टिकोण का परिचायक लगती है। जैसे सैटेलाइट्स आज पृथ्वी की गतिविधियों का सजीव चित्रण करते हैं, वैसे ही संजय ने बिना युद्धभूमि में गए वहां के हर दृश्य को देखने और सुनने का कार्य किया।
चंद्रयान और दिव्यास्त्र: एक रूपक या भविष्यवाणी?
महाभारत में अर्जुन द्वारा दिव्यास्त्रों का प्रयोग करते समय संजय कहते हैं:
“यथा चन्द्रमसो मूर्ध्नि दीप्यते तेजसा युतम्।”
भावार्थ: “उनका अस्त्र ऐसा प्रतीत होता है मानो चंद्रमा के शिखर पर प्रकाश फूट पड़ा हो।”
यह वर्णन आज के चंद्रयान मिशन की ओर इशारा करता प्रतीत होता है। चंद्रमा पर रोशनी, प्रभाव या घटना का यह उल्लेख लूनर इम्पैक्ट मिसाइल या स्पेस इमेजिंग जैसी आधुनिक तकनीकों की ओर संकेत कर सकता है। क्या यह संभव है कि ऋषि-मुनियों ने ध्यान और शोध के माध्यम से इन घटनाओं को पहले ही देख लिया था?
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क्या संजय थे भारत के पहले AI इंटरफेस?
AI (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) का मुख्य उद्देश्य डेटा को संशोधित कर सटीक उत्तर देना है। संजय द्वारा युद्ध का लाइव वर्णन, संवादों का दोहराना और नायकों के मन की स्थिति बताना, यह सब AI के कार्यों से मेल खाता है। इस दृष्टि से, संजय को प्राचीन युग का AI इंटरफेस कहा जा सकता है।
महर्षि वेद व्यास का साइंटिफिक विज़न
महर्षि वेद व्यास केवल आध्यात्मिक गुरु नहीं, बल्कि अद्भुत वैज्ञानिक दृष्टा भी थे। महाभारत में कई स्थानों पर ‘विमान’, ‘यंत्र’, और ‘ध्वनि चालन’ जैसे शब्दों का उल्लेख मिलता है। वेदों में ‘अग्नि की गति से तेज गमन’ और ‘स्वर्गारोहण यंत्र’ का वर्णन भी वैज्ञानिक दृष्टिकोण का परिचायक है।
प्राचीन विज्ञान और आधुनिक अनुसंधान
1980 के दशक में NASA के वैज्ञानिकों ने ‘Ancient Indian Science’ पर शोध करना शुरू किया। कई विद्वानों का मानना है कि महाभारत और वेद केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि विज्ञान की पूर्व रूपरेखा हैं। आज के AI, सैटेलाइट और चंद्रयान जैसे मिशन भारतीय प्राचीन ज्ञान की ही देन माने जा सकते हैं।
महाभारत में वर्णित घटनाएं महज कल्पना नहीं, बल्कि गहन वैज्ञानिक दृष्टिकोण का परिचायक हैं। ‘संजय दृष्टि’ से लेकर चंद्रमा पर घटनाओं का वर्णन, यह सब भारतीय प्राचीन विज्ञान और आधुनिक तकनीकों के बीच गहरे संबंध को दर्शाता है। यह हमें इस बात का एहसास कराता है कि ऋषि-मुनियों ने जो ज्ञान प्रदान किया, वह केवल आध्यात्मिक नहीं, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है।