India News (इंडिया न्यूज), Difference Between Sadhesati and Dhaiya: 29 मार्च 2025 को शनि देव कुंभ राशि को छोड़कर मीन राशि में प्रवेश कर चुके है। यह गोचर ज्योतिषीय दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे कई राशियों की दशा और दिशा में बदलाव आएगा। इस परिवर्तन से तीन राशियों पर शनि की साढ़ेसाती शुरू होगी, जबकि दो राशियों पर शनि की ढैय्या का प्रभाव आरंभ होगा। वहीं, एक राशि को साढ़ेसाती से मुक्ति मिलेगी और दो राशियों पर से ढैय्या का प्रभाव समाप्त होगा।
शनि: न्याय और कर्मफल के देवता
शनि देव को न्याय का देवता माना जाता है। वे व्यक्ति के कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं। जब किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या का प्रभाव होता है, तो उसे अपने कर्मों पर विशेष ध्यान देना चाहिए। अनुचित कार्यों से बचना चाहिए, क्योंकि शनि गलत कार्यों पर कठोर दंड भी देते हैं। जो व्यक्ति सच्चाई और ईमानदारी से जीवन जीता है, शनि उसका साथ देते हैं और जीवन में उन्नति प्रदान करते हैं।
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किन राशियों पर पड़ेगा शनि गोचर का प्रभाव?
इन राशियों पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव शुरू होगा
- मेष राशि: शनि का प्रथम चरण शुरू होगा। इस दौरान जीवन में नए संघर्ष आ सकते हैं। मानसिक और शारीरिक रूप से सावधान रहने की आवश्यकता होगी।
- मीन राशि: साढ़ेसाती का दूसरा चरण रहेगा। इस चरण में आत्म-विश्लेषण और जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव की संभावना होगी।
- कुंभ राशि: कुंभ राशि पर साढ़ेसाती का अंतिम चरण चलेगा। इस समय पुरानी समस्याओं से मुक्ति मिलने की संभावना रहेगी।
इन राशियों पर शनि की ढैय्या आरंभ होगी
- सिंह राशि: कार्यस्थल पर चुनौतियां बढ़ सकती हैं। निवेश और वित्तीय मामलों में सतर्कता बरतनी होगी।
- धनु राशि: पारिवारिक और व्यक्तिगत जीवन में उतार-चढ़ाव आ सकते हैं। स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें।
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किन राशियों को मिलेगी साढ़ेसाती और ढैय्या से राहत?
- मकर राशि: शनि की साढ़ेसाती समाप्त होगी, जिससे जीवन में स्थिरता आएगी। रुके हुए कार्य पूरे होने लगेंगे।
- कर्क राशि: ढैय्या का प्रभाव समाप्त होगा, जिससे मानसिक तनाव में कमी आएगी और आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।
- वृश्चिक राशि: ढैय्या से मुक्ति मिलेगी, जिससे करियर और निजी जीवन में सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेंगे।
साढ़ेसाती और ढैय्या में अंतर
- साढ़ेसाती: यह शनि की वह स्थिति होती है, जब वह किसी व्यक्ति की जन्म राशि से 12वें, 1वें और 2वें भाव में रहता है। इसकी अवधि लगभग साढ़े 7 साल होती है।
- ढैय्या: जब शनि किसी व्यक्ति की जन्म राशि से 4वें या 8वें भाव में गोचर करता है, तो उसे ढैय्या कहा जाता है। इसकी अवधि लगभग ढाई साल होती है।
साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव
- यह समय व्यक्ति के जीवन में कठिनाइयां लेकर आ सकता है। मानसिक तनाव, स्वास्थ्य समस्याएं, आर्थिक चुनौतियां, पारिवारिक विवाद जैसी परेशानियां इस दौरान बढ़ सकती हैं।
- हालांकि, शनि का यह प्रभाव हमेशा नकारात्मक नहीं होता। यदि व्यक्ति अपने कर्मों को सुधार ले, धैर्य रखे और सही मार्ग पर चले, तो यह समय सफलता भी दिला सकता है।
शनि के अशुभ प्रभावों से बचने के उपाय
- शनि मंत्र का जाप करें: ‘ॐ शं शनैश्चराय नमः’ का प्रतिदिन 108 बार जाप करें।
- हनुमान जी की पूजा करें: हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करने से शनि के प्रभाव से राहत मिलती है।
- काले तिल और सरसों के तेल का दान करें: यह उपाय शनि के दोषों को कम करता है।
- जरूरतमंदों की मदद करें: गरीबों को भोजन कराना और श्रमिक वर्ग की सहायता करना शुभ होता है।
- शनिवार का व्रत रखें: इस दिन विशेष रूप से शनि देव की पूजा करें और उड़द दाल, लोहे की वस्तुएं, और काले कपड़े का दान करें।
शनि गोचर 2025 का प्रभाव हर राशि पर अलग-अलग होगा। जहां कुछ राशियों को संघर्ष का सामना करना पड़ेगा, वहीं कुछ के लिए यह समय उन्नति और सफलता का मार्ग खोलेगा। इस दौरान संयम, परिश्रम और धार्मिक उपायों को अपनाकर शनि के शुभ फलों की प्राप्ति की जा सकती है। याद रखें, शनि कर्मों के अनुसार ही फल देते हैं, इसलिए सद्कर्मों को अपनाना ही श्रेष्ठ उपाय है।