India News (इंडिया न्यूज), Shani Blessed Ratan: हिन्दू धर्म में वैदिक ज्योतिष और रत्न शास्त्र का विशेष स्थान है, जहां व्यक्ति की जन्मकुंडली के आधार पर ग्रहों और उनके प्रभावों को समझा जाता है। रत्न शास्त्र में ग्रहों के प्रभाव को कम करने और सकारात्मक परिणाम प्राप्त करने के लिए विभिन्न रत्नों के प्रयोग की सलाह दी जाती है। जब किसी व्यक्ति की कुंडली में कोई ग्रह कमजोर होता है, तो रत्न धारण करने से उसका प्रभाव सुधर सकता है। विशेष रूप से शनि ग्रह की स्थिति को लेकर रत्न शास्त्र में विशेष मार्गदर्शन मिलता है, क्योंकि शनि कर्मफल दाता और न्याय के देवता माने जाते हैं।
शनि देव की कृपा पाने के लिए कुछ रत्न अत्यधिक लाभकारी माने जाते हैं, जिनमें से नीलम, फिरोजा और लाजवर्त रत्न प्रमुख हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में विस्तार से:
शनि को अति प्रिये है ये 3 रत्न:-
1. नीलम रत्न (Sapphire)
नीलम रत्न को शनि देव का सबसे प्रिय रत्न माना जाता है। यह रत्न विशेष रूप से मकर और कुंभ राशि के जातकों के लिए शुभ होता है। इसके अलावा, वृषभ, मिथुन, कन्या और तुला राशि के लोग भी इसे धारण कर सकते हैं। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि ग्रह उच्च स्थिति में स्थित है या कमजोर है, तो उसे नीलम रत्न पहनने से शनि की कृपा प्राप्त हो सकती है। नीलम रत्न के लाभों में कारोबार में उन्नति, नौकरी में प्रमोशन, आत्मविश्वास में वृद्धि और जीवन के अन्य पहलुओं में सुधार हो सकता है।
विशेष ध्यान: नीलम रत्न का प्रभाव बहुत शक्तिशाली होता है, इसलिए इसे बिना विशेषज्ञ की सलाह के नहीं धारण करना चाहिए।
2. फिरोजा रत्न (Turquoise)
फिरोजा रत्न को बृहस्पति ग्रह का उपरत्न माना जाता है, लेकिन यह शनि के लिए भी लाभकारी है। यह रत्न खासतौर से उन लोगों के लिए उपयुक्त होता है जिनकी कुंडली में शनि या गुरु ग्रह कमजोर होते हैं। मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक और धनु राशि के जातक इस रत्न को धारण कर सकते हैं। इसके पहनने से शनि और गुरु ग्रह के प्रभावों को संतुलित किया जा सकता है। फिरोजा रत्न मानसिक शांति, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है।
विशेष ध्यान: फिरोजा रत्न को बिना सही मार्गदर्शन के नहीं पहनना चाहिए, क्योंकि यह रत्न न केवल शनि बल्कि गुरु ग्रह के प्रभावों को भी प्रभावित करता है।
3. लाजवर्त रत्न (Lazurite)
लाजवर्त रत्न को शनि देव का सबसे प्रिय रत्न माना जाता है। इसके अलावा, राहु और केतु ग्रह के लिए भी यह एक प्रभावशाली रत्न है। यह रत्न देखने में नीलम जैसा प्रतीत होता है, लेकिन इसका रंग थोड़ा अलग होता है। जब किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि, राहु और केतु ग्रह कमजोर होते हैं, तो लाजवर्त रत्न को धारण करने से इन ग्रहों की स्थिति को मजबूती मिल सकती है। यह रत्न मकर और कुंभ राशि के जातकों के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
विशेष ध्यान: लाजवर्त रत्न का उपयोग भी कुंडली दिखाने के बाद ही किया जाना चाहिए, ताकि इसका सही प्रभाव और लाभ सुनिश्चित किया जा सके।
शनि देव की कृपा प्राप्त करने के लिए नीलम, फिरोजा और लाजवर्त रत्न अत्यंत प्रभावशाली माने जाते हैं। हालांकि, इन रत्नों का सही प्रभाव और उपयोग सुनिश्चित करने के लिए विशेषज्ञ की सलाह लेना अनिवार्य है। रत्न धारण करने से पहले कुंडली की गहन समीक्षा और ग्रहों के प्रभाव को समझना आवश्यक है। इसलिए, किसी भी रत्न को धारण करने से पहले ज्योतिषी से परामर्श लें और उसके बाद ही उसे पहनें।