India News (इंडिया न्यूज), Shri Krishna Cursed His Son: भगवान श्रीकृष्ण का विवाह जामवंत की पुत्री जामवंती के साथ हुआ था। इस पवित्र विवाह से एक पुत्र का जन्म हुआ, जिसका नाम सांबा रखा गया। सांबा अपने अनुपम सौंदर्य और आकर्षक व्यक्तित्व के लिए प्रसिद्ध था। उसकी सुंदरता इतनी अद्वितीय थी कि भगवान श्रीकृष्ण की कई पटरानियों का मन भी उस पर मोहित हो गया। लेकिन यही सौंदर्य सांबा के जीवन में एक बड़े संकट का कारण बना।
सांबा और श्राप की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण की एक पटरानी ने सांबा की पत्नी का रूप धारण करके उनके साथ आलिंगन किया। जब यह बात भगवान श्रीकृष्ण को ज्ञात हुई, तो वे अत्यंत क्रोधित हो गए। उन्होंने इसे एक गंभीर अपराध माना और अपने पुत्र सांबा को कोढ़ी होने का श्राप दे दिया। यह श्राप सांबा के जीवन में दुख और पीड़ा का कारण बन गया।
महर्षि कटक की शरण
श्राप से मुक्ति पाने के लिए सांबा ने कई ऋषियों और मुनियों की शरण ली। अंततः वे महर्षि कटक के पास पहुंचे और अपनी समस्या का समाधान पूछा। महर्षि कटक ने उन्हें सूर्यदेव की उपासना करने का सुझाव दिया और बताया कि उनकी तपस्या ही उन्हें इस श्राप से मुक्त कर सकती है।
सूर्यदेव की उपासना और मित्रवन
महर्षि कटक की सलाह पर सांबा ने मित्रवन (जो चंद्रभागा नदी के किनारे स्थित है) में सूर्यदेव का एक भव्य मंदिर बनवाया। इस मंदिर में उन्होंने सूर्यदेव की कठोर तपस्या आरंभ की। सांबा ने 12 वर्षों तक निरंतर सूर्यदेव की आराधना की और अपने समर्पण और भक्ति से उन्हें प्रसन्न किया।
सांबा की मुक्ति
सूर्यदेव ने सांबा की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया। उन्होंने सांबा को चंद्रभागा नदी में स्नान करने का आदेश दिया। जैसे ही सांबा ने नदी में स्नान किया, उनका कोढ़ पूर्णतः समाप्त हो गया। वे पुनः अपने पूर्व रूप और स्वास्थ्य को प्राप्त कर सके।
सांबा सूर्य मंदिर की महिमा
सांबा द्वारा निर्मित सूर्य मंदिर आज भी उनकी तपस्या और भक्ति का प्रतीक है। यह मंदिर न केवल सांबा की श्रद्धा को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि सच्चे मन से की गई प्रार्थना और तपस्या असंभव को संभव बना सकती है।
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कथा का संदेश
इस कथा से हमें यह शिक्षा मिलती है कि अनुशासनहीनता और अनैतिक कार्यों का परिणाम कितना कठोर हो सकता है। साथ ही, यह भी सिद्ध होता है कि ईश्वर की भक्ति और तपस्या से किसी भी समस्या का समाधान प्राप्त किया जा सकता है। सांबा की कहानी धर्म, तप और ईश्वर में विश्वास की प्रेरणा देती है।
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