India News (इंडिया न्यूज़), Mahabharata Shri Krishna: महाभारत की कथा में कई रोचक और अद्भुत घटनाएं हैं जो आज भी अबूझ पहेली बनी हुई हैं और हमारी आँखों से दूर हैं। पांडवो से कौरवो की लड़ाई तक द्रोपदी के चीयर हरण से लेकर, शकुनि मामा की चाल तक यूँ तो हमने कई कहानियां सुनी हैं, लेकिन आज ऐसी ही एक घटना है अर्जुन के किन्नर पुत्र और भगवान श्रीकृष्ण के विवाह की जो शायद ही आपने आजतक सुनी भी होगी। वही आज यह कहानी आपको चौंका देगी क्योंकि इसके पीछे का कारण बहुत ही महत्वपूर्ण और दिलचस्प है।

कथा का प्रारंभ

महाभारत के अनुसार, अर्जुन ने अपने वनवास के दौरान कई स्थानों की यात्रा की और अनेक महत्वपूर्ण कार्य किए। इसी दौरान, उन्होंने उत्तर पूर्व भारत में मणिपुर राज्य की यात्रा की। वहाँ उनका विवाह मणिपुर के राजा चित्रवहान की पुत्री चित्रांगदा से हुआ। अर्जुन और चित्रांगदा का एक पुत्र हुआ, जिसका नाम बभ्रुवाहन रखा गया।

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बभ्रुवाहन का जन्म और जीवन

बभ्रुवाहन को उनकी माँ चित्रांगदा के पास छोड़कर अर्जुन आगे की यात्रा पर चले गए। बाद में, बभ्रुवाहन ने मणिपुर राज्य का राजा बनकर राज्य की देखभाल की। महाभारत युद्ध के बाद, जब पांडवों ने अश्वमेध यज्ञ का आयोजन किया, तो अर्जुन का पुत्र बभ्रुवाहन भी इस यज्ञ का हिस्सा बना।

किन्नर पुत्र का रहस्य

जब पांडवों ने अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा छोड़ा, तो बभ्रुवाहन ने उसे पकड़ लिया। इससे अर्जुन और बभ्रुवाहन के बीच युद्ध हुआ। इस युद्ध में बभ्रुवाहन ने अपने पिता अर्जुन को पराजित कर दिया। युद्ध के बाद, अर्जुन ने अपने पुत्र को पहचान लिया और दोनों ने एक-दूसरे को गले लगा लिया।

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विवाह का कारण

कथाओं के अनुसार, बभ्रुवाहन का विवाह भगवान श्रीकृष्ण के साथ हुआ था, लेकिन यह विवाह एक विशिष्ट कारण से हुआ था। दरअसल, बभ्रुवाहन ने युद्ध में अर्जुन को पराजित किया था, जिससे अर्जुन का गौरव और आत्मसम्मान चोटिल हुआ था। इस घटना के बाद, श्रीकृष्ण ने यह सुनिश्चित करने के लिए कि अर्जुन के साथ बभ्रुवाहन के संबंध अच्छे रहें और उनके बीच कोई दुश्मनी न रहे, बभ्रुवाहन के साथ विवाह का प्रस्ताव रखा। इस विवाह का मुख्य उद्देश्य दोनों परिवारों के बीच शांति और सद्भाव बनाए रखना था।

सभा की हैरानी

जब श्रीकृष्ण ने इस विवाह का प्रस्ताव रखा, तो सभा के लोग हैरान रह गए। लेकिन श्रीकृष्ण ने उन्हें इस विवाह के पीछे का कारण बताया, जिससे सबकी शंकाएं दूर हो गईं और उन्होंने इस विवाह को सहर्ष स्वीकार कर लिया।

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इस प्रकार, अर्जुन के किन्नर पुत्र बभ्रुवाहन और भगवान श्रीकृष्ण के बीच हुआ यह विवाह महाभारत की कथा में एक महत्वपूर्ण और अद्भुत घटना के रूप में दर्ज है, जो दर्शाता है कि कैसे धर्म और न्याय की स्थापना के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने अद्भुत निर्णय लिए।

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