India News (इंडिया न्यूज), Facts About Ravan: रामायण की कथा में शूर्पणखा की भूमिका को आमतौर पर रावण की बहन और राम-लक्ष्मण के साथ उसकी दुश्मनी के संदर्भ में देखा जाता है। लेकिन यह कम ज्ञात और दिलचस्प मान्यता है कि शूर्पणखा ने रावण की बर्बादी की साजिश रची थी, क्योंकि वह अपने पति की मौत के लिए रावण को जिम्मेदार मानती थी। यह कथा रामायण के पारंपरिक दृष्टिकोण से अलग है और एक नई दृष्टि प्रस्तुत करती है।

 

शूर्पणखा का विवाह और पति की मृत्यु

 

शूर्पणखा का विवाह विद्युतजिह्वा से हुआ था, जो कालकेय राजा का सेनापति था। रावण ने एक युद्ध के दौरान विद्युतजिह्वा को मार डाला, जिससे शूर्पणखा विधवा हो गई। पति की मृत्यु ने शूर्पणखा को गहरे दुख और क्रोध से भर दिया। वह रावण को इसका दोषी मानती थी और उसके विनाश की कामना करने लगी।

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कुलदेवी की आराधना और भविष्यवाणी

 

शूर्पणखा ने अपनी कुलदेवी की आराधना की, जिन्होंने उसे रावण के विनाश का मार्ग दिखाया। देवी ने भविष्यवाणी की थी कि रावण का अंत प्रभु श्रीराम के हाथों होगा। इसे समझकर, शूर्पणखा ने राम और लक्ष्मण से टकराव का नाटक रचने का निर्णय लिया।

 

राम और लक्ष्मण से उकसाव

 

शूर्पणखा ने जानबूझकर राम और लक्ष्मण को उकसाने का काम किया। जब राम ने उसके प्रेम प्रस्ताव को ठुकरा दिया और लक्ष्मण ने उसके नाक-कान काट दिए, तो शूर्पणखा ने इस घटना को रावण के सामने बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया।

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सीता का हरण और रावण का विनाश

 

शूर्पणखा ने रावण को सीता के सौंदर्य के बारे में उकसाया और उसे सीता के अपहरण के लिए प्रेरित किया। वह जानती थी कि सीता का अपहरण राम को रावण के खिलाफ युद्ध करने के लिए मजबूर करेगा।
रावण को यह अहसास नहीं था कि उसकी बहन की यह साजिश उसके साम्राज्य और जीवन के अंत का कारण बनेगी।

 

शूर्पणखा का उद्देश्य

 

शूर्पणखा ने यह पूरा प्रपंच केवल अपने पति की मौत का बदला लेने और रावण के घमंड को नष्ट करने के लिए किया। उसने यह सुनिश्चित किया कि राम और रावण का युद्ध हो, जिससे लंका का विनाश और रावण का अंत निश्चित हो।

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शूर्पणखा की भूमिका का दूसरा पक्ष

 

यह मान्यता शूर्पणखा को एक प्रतिशोधी और बुद्धिमान महिला के रूप में प्रस्तुत करती है, जो अपने लक्ष्य को पाने के लिए योजना बनाती है। इस दृष्टिकोण में शूर्पणखा केवल एक पीड़िता नहीं है, बल्कि एक सक्रिय पात्र है, जो अपने दुख का बदला लेने के लिए घटनाओं को मोड़ती है।

 

रामायण की यह कहानी शूर्पणखा के चरित्र को एक नए रूप में प्रस्तुत करती है। रावण का पतन न केवल राम की धर्म स्थापना का प्रतीक था, बल्कि शूर्पणखा की प्रतिशोध की इच्छा का भी परिणाम था। यह कथा हमें यह भी सिखाती है कि हर घटना के पीछे गहरे कारण और परछाइयां होती हैं, जो हमेशा सामने नहीं आतीं।

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