India News (इंडिया न्यूज),Soul after Death: लोककथाओं, धार्मिक ग्रंथों और विज्ञान में भूत-प्रेतों का ज़िक्र सदियों से होता आ रहा है। कई लोगों का मानना है कि जब कोई व्यक्ति मरता है तो उसकी आत्मा स्वर्ग या नर्क में जाती है। लेकिन कुछ मामलों में आत्मा यह प्रक्रिया पूरी नहीं कर पाती और धरती पर भटकने लगती है। यह आत्मा समय के साथ भूत बन जाती है। सवाल उठता है कि ऐसा क्यों होता है? क्या इसके पीछे कोई वैज्ञानिक कारण है या फिर यह सिर्फ़ मनोवैज्ञानिक भ्रम है? आइए जानते हैं इसके पीछे की असली वजह।
अधूरी इच्छाएँ और अधूरे कर्म
ऐसा माना जाता है कि अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु के समय उसकी कोई इच्छा अधूरी रह जाती है या वह कोई महत्वपूर्ण काम पूरा नहीं कर पाता है तो उसकी आत्मा भटकने लगती है। हिंदू धर्म में इसे ‘अतृप्त आत्मा’ कहा जाता है, जिसे तब तक मोक्ष नहीं मिलता जब तक उसकी अधूरी इच्छाएँ पूरी न हो जाएँ।
असामयिक या दर्दनाक मौत
अगर किसी व्यक्ति की दुर्घटना, आत्महत्या या हत्या में अचानक मृत्यु हो जाती है तो उसकी आत्मा को अपनी मौत का एहसास नहीं होता। कई बार ऐसी आत्माएँ अपनी स्थिति से अनजान होती हैं और अपनी मौत की सच्चाई को स्वीकार नहीं कर पाती हैं। यही वजह है कि वे इस दुनिया में भटकते रहते हैं और कई बार लोगों को अपनी मौजूदगी का अहसास कराते हैं।
बदले की भावना और नकारात्मक ऊर्जा
कभी-कभी आत्माएं किसी से बदला लेने के लिए भी भूत बन जाती हैं। अगर कोई व्यक्ति जीवन में बहुत दर्द, अन्याय या अत्याचार सहता है और उसे न्याय नहीं मिलता है, तो उसकी आत्मा नकारात्मक ऊर्जा के साथ इस दुनिया में रह सकती है। ऐसे में भूतों से जुड़े डरावने अनुभव ज़्यादा सुनने को मिलते हैं।
किसी खास जगह से लगाव
कुछ आत्माएं किसी खास जगह से इतनी जुड़ी होती हैं कि वे मरने के बाद भी वहां से निकल नहीं पाती हैं। उदाहरण के लिए, कई बार लोग सुनसान हवेलियों, पुराने किलों या सुनसान सड़कों पर भूतों को देखने का दावा करते हैं। यह जगह उनके जीवन से इतनी गहराई से जुड़ी होती है कि वे मरने के बाद भी वहीं रहते हैं।
धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण
धार्मिक मान्यताएँ
हिंदू धर्म में पितृ दोष और भूत आत्माओं का ज़िक्र किया गया है, जहाँ माना जाता है कि आत्माओं को मोक्ष पाने के लिए विशेष कर्म करने पड़ते हैं। इसी तरह ईसाई धर्म और इस्लाम भी आत्मा के भटकने के लिए अलग-अलग व्याख्याएँ देते हैं।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
विज्ञान भूतों को मनोवैज्ञानिक भ्रम, विद्युत चुम्बकीय तरंगों और मस्तिष्क के मतिभ्रम का परिणाम मानता है। कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि जब लोग डरावने माहौल में होते हैं, तो उनका दिमाग डर और तनाव के कारण चीजों को अलग तरह से अनुभव करने लगता है।