India News (इंडिया न्यूज), Omkareshwar Jyotirling Story: भारत की पावन भूमि पर कुछ स्थान ऐसे हैं, जहां न केवल देवताओं की उपस्थिति महसूस की जाती है, बल्कि उनकी ऊर्जा, चेतना और कहानियां भी जीवंत प्रतीत होती हैं। ऐसा ही एक स्थान है मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित ओंकारेश्वर, जो नर्मदा नदी के किनारे ओम आकार के पर्वत पर विराजमान है। इस स्थान को सृष्टि के आरंभ और “ओँ” की पहली ध्वनि का उद्गम स्थल माना जाता है। ओंकारेश्वर मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि रहस्यों और चमत्कारों से भरा एक जीवंत धाम भी है।

ओंकारेश्वर का पौराणिक महत्व

पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब ब्रह्मांड की रचना प्रारंभ हो रही थी, भगवान ब्रह्मा ने “ओँ” की पहली ध्वनि सुनी। यह ध्वनि जिस स्थान से उत्पन्न हुई, वह ओंकार पर्वत था। यह पर्वत नर्मदा नदी के मध्य स्थित है और इसका आकार ओम के प्रतीक जैसा है। ऐसा माना जाता है कि इस पर्वत पर भगवान शिव स्वयंभू रूप में विराजमान हैं। यह स्थान अनादि और अनंत है, जो भक्तों को आत्मिक शांति और ऊर्जा प्रदान करता है।

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राजा मांधाता की तपस्या और शिव का प्रकट होना

राजा मांधाता, जो भगवान श्रीराम के पूर्वज माने जाते हैं, ने ओंकार पर्वत पर कठोर तपस्या की थी। उनकी घोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने दर्शन दिए और उनसे वरदान मांगने को कहा। राजा ने विनती की कि भगवान शिव सदा के लिए यहां विराजमान हो जाएं। इस प्रकार, ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना हुई। यह ज्योतिर्लिंग स्थापत्य नहीं है, बल्कि स्वयंभू है।

गौरी सोमनाथ मंदिर और अद्भुत शिवलिंग

ओंकारेश्वर क्षेत्र में स्थित गौरी सोमनाथ मंदिर भी अपने आप में एक रहस्य है। यहां कभी एक पारदर्शी शिवलिंग हुआ करता था, जिसमें खड़े होकर मनुष्य अपने भविष्य की छाया देख सकता था। कहा जाता है कि औरंगजेब के सैनिकों ने इस शिवलिंग में अपना अंत देखा और भयभीत होकर मंदिर में आग लगा दी। इसके बाद से शिवलिंग कालरूप में बदल गया।

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ओंकारेश्वर का धार्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य

सतपुड़ा और विंध्याचल पर्वत श्रृंखलाओं की गोद में स्थित ओंकारेश्वर मंदिर नर्मदा की मधुर ध्वनि के बीच बसा है। यहां के परिक्रमा पथ पर पाताल हनुमान मंदिर, ऋण मुक्तेश्वर महादेव मंदिर और अन्य प्राचीन मंदिर हैं। गौरी सोमनाथ मंदिर में स्थित 6 फीट ऊंचा शिवलिंग विशेष रूप से प्रसिद्ध है। इसे मामा-भांजा मंदिर भी कहा जाता है, क्योंकि यहां मामा-भांजे की आत्माओं के तप की कथा प्रचलित है।

नर्मदा नदी और ओंकारेश्वर का आध्यात्मिक संबंध

पवित्र नर्मदा नदी को भगवान शिव की मानस पुत्री माना जाता है। कहा जाता है कि नर्मदा के दर्शन मात्र से पापों का नाश हो जाता है। जब इस जल से ओंकारेश्वर के शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है, तो यह केवल पूजा नहीं, बल्कि आत्मिक संवाद बन जाता है। यहां के हर पत्थर, हर जलधारा में शिव की चेतना विद्यमान है।

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ओंकारेश्वर का महत्व भक्तों के लिए

ओंकारेश्वर न केवल एक तीर्थ स्थल है, बल्कि साधकों का भी धाम है। यहां हर साल लाखों भक्त आते हैं, लेकिन यहां से लौटते समय वे अपने भीतर के अंधकार, पाप और उलझनों को छोड़कर जाते हैं। यहां की ऊर्जा, मंत्रों की गूंज, और शिवलिंग का आशीर्वाद हर भक्त को आत्मिक शांति और नई दिशा प्रदान करता है।

ओंकारेश्वर मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं है; यह एक जीवंत रहस्य और आध्यात्मिक अनुभव का केंद्र है। यहां की हवा में मंत्रों की गूंज है, जल में ऊर्जा है, और पत्थरों में शिव की चेतना। यह वह स्थान है, जहां हर श्रद्धालु को शांति, ऊर्जा और भगवान शिव का साक्षात आशीर्वाद प्राप्त होता है। यदि आप भी ओंकारेश्वर की इस अद्भुत यात्रा पर जाते हैं, तो वहां की ऊर्जा और आध्यात्मिक अनुभव आपके जीवन को नई दिशा दे सकते हैं।

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