India News (इंडिया न्यूज), Story of Shakuni’s Death: महाभारत, भारतीय इतिहास और धर्म का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जिसमें अच्छाई और बुराई के बीच हुए संघर्ष की गाथा वर्णित है। इस महाकाव्य के कई पात्र अपनी नीतियों, कृत्यों और चरित्र के लिए प्रसिद्ध हैं, लेकिन शकुनि जैसा रणनीतिकार और कुटिल चरित्र शायद ही कोई और हो। शकुनि, जो गांधार साम्राज्य का राजा और दुर्योधन का मामा था, महाभारत युद्ध का मास्टरमाइंड माना जाता है। उसकी कुटिल चालों ने कौरवों और पांडवों के बीच एक ऐसी खाई पैदा की, जिसने अंततः कुरुक्षेत्र के युद्ध को जन्म दिया।

शकुनि का परिचय

शकुनि गांधार साम्राज्य के राजा थे और गांधारी के भाई। वह अपनी बहन गांधारी के विवाह के बाद हस्तिनापुर आए थे। शकुनि अपनी बुद्धिमत्ता और चालाकी के लिए प्रसिद्ध थे। उन्होंने कौरवों, विशेषकर दुर्योधन, को पांडवों के प्रति शत्रुता बढ़ाने के लिए भड़काया। दुर्योधन की ज्यादातर कुटिल नीतियों के पीछे शकुनि का ही दिमाग था। चाहे वह द्रौपदी का चीरहरण हो या जुए का खेल, शकुनि की रणनीति हर जगह स्पष्ट थी।

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महाभारत युद्ध में शकुनि का योगदान

महाभारत युद्ध के पीछे शकुनि का बड़ा हाथ था। उसने न केवल दुर्योधन को जुए में पांडवों को हराने के लिए उकसाया, बल्कि पांडवों को हराने की हर चाल में सक्रिय भूमिका निभाई। शकुनि ने अपनी राजनीतिक कुशलता और चतुराई का इस्तेमाल करते हुए पांडवों के खिलाफ षड्यंत्र रचा।

शकुनि का अंत

महाभारत युद्ध के 18वें दिन शकुनि का अंत हुआ। युद्ध में शकुनि का सामना पांडवों के छोटे भाई सहदेव से हुआ। पहले सहदेव ने शकुनि के पुत्र उलूक को युद्ध में पराजित कर मार डाला। अपने पुत्र की मृत्यु देखकर शकुनि भयभीत होकर युद्ध के मैदान से भागने लगा। लेकिन सहदेव ने उसका पीछा किया और अंततः उसे मार गिराया। इस प्रकार, सहदेव ने महाभारत के इस मुख्य रणनीतिकार का अंत किया।

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महाभारत युद्ध के बाद बचे हुए पात्र

महाभारत युद्ध के बाद, केवल कुछ ही पात्र जीवित बचे थे। उनमें प्रमुख थे:

  • कृतवर्मा, कृपाचार्य, और अश्वत्थामा: ये तीनों कौरवों की ओर से लड़ने वाले योद्धा थे।
  • युधिष्ठिर, अर्जुन, भीम, नकुल, सहदेव, और श्रीकृष्ण: ये पांडव पक्ष के मुख्य योद्धा और उनके मार्गदर्शक थे।
  • सात्यकि और युयुत्सु: सात्यकि पांडवों के प्रमुख सहयोगी थे, जबकि युयुत्सु कौरवों के सौतेले भाई थे, जिन्होंने युद्ध में पांडवों का साथ दिया।
  • विदुर, संजय, धृतराष्ट्र, गांधारी, और कुंति: ये वे लोग थे जो युद्ध में भाग नहीं ले सके थे।

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शकुनि की मृत्यु का महत्व

शकुनि की मृत्यु महाभारत की कथा का एक महत्वपूर्ण मोड़ है। यह दर्शाता है कि कुटिल चालें और गलत नीतियां अंततः विनाश का ही कारण बनती हैं। शकुनि, जिसने अपने परिवार और रिश्तों का उपयोग केवल अपने स्वार्थ और प्रतिशोध के लिए किया, अंततः सहदेव के हाथों मारा गया। उसकी मृत्यु ने यह भी सिखाया कि अधर्म और छल का अंत निश्चित है।

महाभारत के युद्ध में शकुनि जैसे कुटिल पात्र ने जहां एक तरफ अपनी चतुराई से युद्ध को जन्म दिया, वहीं दूसरी तरफ उसका अंत यह साबित करता है कि सत्य और धर्म की ही विजय होती है। सहदेव द्वारा शकुनि का वध महाभारत का एक प्रमुख अध्याय है, जो न केवल उसकी रणनीतियों का अंत है, बल्कि यह भी कि अधर्म का साथ देने वालों को अंततः परिणाम भुगतने पड़ते हैं।

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