India News (इंडिया न्यूज़), Surya Abhishek: सनातन धर्म मे सूर्य को नवग्रहों का राजा कहा जाता है। सूर्यदेव को वैदिक ज्योतिष शास्त्र में एक महतवपूर्ण स्थान दिया गया है। जहां तीज त्यौहार में सूर्यदेव की पूजा की जाती है वही दूसरी ओर ज्योतिषीय दृष्टि कोण से इसका तालुक 12 राशियों के नौ ग्रहों (सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु) की स्थिति को भी प्रभावित करता है। सिंह राशि का स्वामित्व सूर्य देव को प्राप्त है।

कौन है सूर्य देव का परिवार

पूर्वकालीन कथाओ के अनुसर सूर्यदेव के पिता का नाम कश्यप और माता का नाम अदिति है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार सूर्य देव की दो पत्नियां हैं, जिनका नाम संध्या और छाया है। स्कंदपुराण की कथा के अनुसार, शनि देव की माता का नाम छाया और उनके पिता का नाम सूर्य देव है। देवी यमुना या यमराज को भी सूर्य देव की संतान माना जाता है।

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वैदिक पुराण मे सूर्य का महत्व

नवग्रहों का राजा सूर्य ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पिता के भाव कर्म का स्वामी माना गया है। पिता-पुत्र के रिश्ते में बेहतरी के लिए पुत्र को सूर्य देव की आराधना शुद्ध मन से करनी चाहिए। कुंडली में नकारात्मक प्रभाव देने वाले ग्रहों का प्रभाव सूर्य देव की कृपा से कम हो जाता है ।

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सिंह राशि में सूर्य का प्रभाव

जब सूर्य देव सिंह राशि में पधारते हैं, तो ऐसे लोगों की प्रसिद्धि बनी रहती है तथा यह व्यक्ति अच्छी सहनशक्ति वाले, साहसी, आक्रामक, महत्वाकांक्षी और शक्तिशाली होने के साथ ही, उत्तरदायित्व वाले पदों में सफल होने और महत्वपूर्ण प्रबंधन कार्यों में संलग्न होने की क्षमता रखते हैं।इस समयआत्मविश्वास चरम पर होगा और आपकी ऊर्जा सभी बाधाओं को पार करने में सक्षम होगी।

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क्या है सूर्य का 12 भाव पर प्रभाव

  • प्रथम भाव: जिस व्यक्ति की जन्म कुंडली में सूर्य पहले भाग में होता है वह व्यक्ति धैर्यवान एवं साहसी होता है।
  • दूसरा भाव: इस भाव में सूर्य विराजमान होकर मनुष्य को स्वाभीमानी बनाता है।
  • तीसरा भाव:कुंडली के तीसरे भाव में सूर्य देव का होना व्यक्ति को साहसी बनाता है।
  • चौथा भाव: सूर्य का इस भाव में होना , व्यक्ति अपने क्षेत्र में उच्च पद प्राप्त करता है।
  • पांचवां भाव: सूर्य इस भाव में मिला-जुला फल प्रदान करते हैं।
  • छठा भाव: जिन लोगों के इस भाव में सूर्य देव होते है वह आर्थिक रूप से संपन्न होते है।
  • सातवां भाव: यदि कुंडली के के सातवें भाव में सूर्य हो तो यह दांपत्य जीवन को प्रभावित करते हैं।
  • आठवां भाव: इस भाव में सूर्य देव अचानक लाभ प्रदान करते है।
  • नवम भाव: सूर्य इस भाव में मनुष्य को क्रियाशील बनाता है।
  • दशम भाव: सूर्य इस भाव में बैठकर अच्छा फल प्रदान करते हैं।
  • एकादश भाव: सूर्य का इस भाव में होना इन्सान को बुद्धिजीवी बनाता है।
  • बारहवां भाव : इस भाव में सूर्य का होना अत्यधिक लाभदायी नहीं माना जाता। ऐस भाव के मनुष्य को विदेश से अच्छा लाभ होता है।