India News (इंडिया न्यूज), Story of Akshaya Patra: महाभारत काल में जुए में हारने के बाद पांडवों को वनवास जाना पड़ा था। इस दौरान पांडवों को दर-दर भटकना पड़ा था। कई दिनों तक तो ऐसा होता था कि उन्हें फल या सब्जी न मिलने के कारण भूखा रहना पड़ता था। ऐसा एक-दो बार हो जाए तो ठीक है, लेकिन जब ऐसा बार-बार होने लगा तो द्रौपदी यह स्थिति देखकर बहुत दुखी हुईं और वह सोचने लगीं कि एक राजा के घर में जन्म लेने वाले उनके पति को ऐसे बुरे दिन देखने पड़ रहे हैं।

क्या था अक्षय पात्र का वरदान

द्रौपदी को सूर्य देव की याद आई, वह बचपन में भी सूर्य देव की पूजा करती थी। द्रौपदी ने पूरी श्रद्धा से सूर्य देव की पूजा की और सूर्य देव सच्ची पूजा से प्रसन्न हुए। सूर्य देव सामान्य वेश में उसके सामने प्रकट हुए। सूर्य देव उसकी पीड़ा जानते थे, इसलिए उन्होंने द्रौपदी को एक अक्षय पात्र दिया और कहा कि इस पात्र में रखा कोई भी पदार्थ अक्षय रहेगा यानी वह तब तक खत्म नहीं होगा जब तक द्रौपदी स्वयं भोजन न कर ले।

भोजन कभी खत्म नहीं होगा

इस बर्तन में रखा भोजन द्रौपदी के खाने से पहले कभी खत्म नहीं होगा, चाहे कितने भी लोग खा रहे हों। इस बर्तन को पाने के बाद द्रौपदी की भोजन संबंधी सभी समस्याएं खत्म हो गईं और पांडवों का वनवास का समय आराम से बीतने लगा क्योंकि उन्हें भोजन की कोई समस्या नहीं थी।

महाभारत में छुपा है बड़ा राज! सिर्फ एक रात के लिए किन्नर क्यों करते हैं शादी, वजह जान हो जाएंगे हैरान!

अभी भी काशी में स्थित है

कहते हैं कि सूर्य देव की जिस मूर्ति की द्रौपदी ने पूजा की थी वह आज भी वाराणसी में काशी विश्वनाथ जी के पास अक्षय वट के नीचे स्थित है, ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति पूरी श्रद्धा से इस मूर्ति की पूजा करता है उसे कभी भी आजीविका की कोई समस्या नहीं होती है।

Horoscope 30 November 2024: मेष, मिथुन और मीन समेत इन राशियों पर शनिदेव बरसाएंगे अपनी कृपा, सेहत के प्रति रहना होगा सावधान, जानें आज का राशिफल!

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।