India News (इंडिया न्यूज़), Swastika: सनातन धर्म में वास्तु शास्त्र के अनुसार किसी भी शुभ कार्य करने से पहले स्वास्तिक का चिन्ह बनाना अति शुभ माना जाता है। मान्यता है कि कोई भी मांगलिक कार्य इस चिह्न के बिना पूरा नहीं होता। हिंदू धर्म में स्वास्तिक (Swastika) का एक महत्वपूर्ण स्थान है। स्वास्तिक एक पवित्र चिन्ह है, जिसका प्रयोग हिंदू धर्म वैदिक काल से करता आया है। स्वास्तिक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ होता है “सुअस्थि” (सु: अच्छा, अस्थि: स्थान)। इसे धार्मिक संकेत के रूप में उपयोग सनातन, जैन, बौद्ध और अन्य धार्मिक समुदायों में भी शुभता के लिए किया जाता है।

क्या है स्वास्तिक चिन्ह

स्वास्तिक एक चक्रीय चिन्ह होता है जिसमें चार बाहुएं (arms) होती हैं, जो दायरेखा में प्रदर्शित होती हैं। इसके अलावा इन बाहुएं के बीच एक बिंदु भी होता है। इसका आकार व रूप भिन्न-भिन्न संस्कृति और समुदायों में थोड़ा-थोड़ा भिन्न हो सकता है।

शुभता और मंगल का प्रतीक है स्वास्तिक

स्वास्तिक को हिंदू धर्म में शुभता, समृद्धि, शक्ति, और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। इसलिए  हिंदू धर्म में स्वास्तिक मंगल कार्य के दौरान बनाया जाता है। स्वास्तिक अक्सर धार्मिक और लघु प्रयोजनों के लिए बहार भी लगाया जाता है, जैसे मंदिरों के द्वार पर या घर के दरवाजे पर।

धार्मिक और आध्यात्मिक संकेत

स्वास्तिक को धार्मिक संकेत के रूप में उपयोग किया जाता है और इसे धार्मिक और आध्यात्मिक अनुष्ठानों का महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है।

सामरिक महत्व

स्वास्तिक को कई सामरिक प्रयोजनों के लिए उपयोग किया जाता है। यह चिह्न युद्ध वाहनों, विमानों, युद्ध शस्त्रों, और सेना विजेताओं के आदर्श रूप में प्रयोग किया जाता था।

वास्तुशास्त्र में महत्व

स्वास्तिक को वास्तुशास्त्र में महत्वपूर्ण रूप से उपयोग किया जाता है। इसे घरों के दरवाजे, मंदिरों, और अन्य स्थानों पर लगाया जाता है ताकि यह घर को शुभता और सुख के साथ भरे।

ये भी पढ़ें- Sawan 2023: इस दिन से शुरु हो रहा है सावन का महीना, जानें इस माह सोमवार के दिन व्रत रखने का महत्व