India News (इंडिया न्यूज), Shani Ki Sadhesati: शनि देव, जिन्हें कर्मों का न्यायाधीश कहा जाता है, 29 मार्च 2025 को अपनी स्व-राशि कुंभ को छोड़कर मीन राशि में प्रवेश कर चुके हैं। लगभग ढाई साल (करीब 30 महीने) कुंभ राशि में रहने के बाद अब शनि का यह गोचर नए अध्याय की शुरुआत है। यह परिवर्तन न सिर्फ खगोलीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि कई राशियों की साढ़ेसाती और शनि की ढैय्या की शुरुआत और समाप्ति का समय भी है।
क्या होता है शनि का गोचर?
शनि एक धीमी गति से चलने वाला ग्रह है और एक राशि में लगभग ढाई वर्ष (2.5 साल) तक रहता है। जब वह एक राशि से दूसरी में प्रवेश करता है, तो इसे शनि गोचर कहा जाता है। यह गोचर व्यक्ति के जीवन में कर्मों के अनुसार फल देने वाला माना जाता है।
शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या 2025 में किन राशियों पर प्रभावी है?
साढ़ेसाती 2025:
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कुंभ राशि – अंतिम चरण (तीसरा चरण)
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मीन राशि – दूसरा चरण
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मेष राशि – पहला चरण (साढ़ेसाती की शुरुआत)
शनि की ढैय्या 2025:
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सिंह राशि
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धनु राशि
शनि देव: कर्मों का न्याय करने वाले देवता
भारतीय ज्योतिष और शास्त्रों में शनि को न्याय का देवता कहा गया है। बृहत पाराशर होरा शास्त्र में शनि के बारे में लिखा गया है:
“शनि: कर्मफलदाता स्यात्, न च मित्रं न वै शत्रु:”
(अर्थात: शनि न किसी का मित्र होता है, न शत्रु. वह केवल कर्मों के अनुसार फल देता है।)
रामायण में शनि का उल्लेख
जब भगवान श्रीराम को वनवास मिला, उस समय उनकी कुंडली में शनि की दशा और अन्य ग्रहों का विशेष संयोग बना था। यह काल उनके जीवन की कठिन परीक्षा थी, जो उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम बनाने के लिए आवश्यक था। इससे यह सिद्ध होता है कि शनि का प्रभाव तकदीर बदल सकता है।
कैसे जानें कि शनि आपको कर्मों का फल दे रहा है?
शनि के दुष्प्रभाव या परीक्षा काल में व्यक्ति को निम्न संकेत अनुभव हो सकते हैं:
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? अचानक आय में गिरावट
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? मानसिक तनाव, चिंता और अकेलापन
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? रिश्तों में धोखा या तनाव
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⚖️ न्याय की तलाश में देरी और रुकावटें
शनि दोष से बचने के उपाय
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शनिवार को पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
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“ॐ शं शनैश्चराय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
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काले तिल, उड़द, लोहे और कंबल का दान करें।
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ईमानदारी से मेहनत करें और अपने कर्म सुधारें। यही सबसे बड़ा उपाय है।
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गरीबों, मजदूरों और बेसहारा लोगों की मदद करें।
क्या आपकी कुंडली में शनि सक्रिय है?
यदि आपकी कुंडली में:
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शनि 6वें, 8वें या 12वें भाव में हैं
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शनि राहु या मंगल के साथ स्थित हैं
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शनि नीच राशि (मेष) में हैं
तो यह समय विशेष सतर्कता बरतने का है।
शनि कहते हैं:
“किसी को सताना मत, खासकर गरीब और मेहनती लोगों को।”
शनि गरीबों और श्रमिक वर्ग के रक्षक हैं, इसलिए यदि आप दूसरों की मदद करते हैं और अपने कर्मों को शुद्ध रखते हैं, तो शनि की कृपा अवश्य प्राप्त होती है।
शनि देव का यह मीन राशि में गोचर 2025 से 2027 तक प्रभावी रहेगा और जीवन में अनेक मोड़ों, परीक्षाओं और अवसरों की दस्तक देगा। यह समय है आत्मनिरीक्षण, सेवा और कर्म सुधार का। याद रखें – शनि दंड नहीं, न्याय करता है।
जो करेगा कर्म सुधार, उसे मिलेगा शनि का विशेष सत्कार।