India News (इंडिया न्यूज), 7 Highly Educated Indian Sanyasis: आज के समय में जब अधिकांश युवा अपने करियर और भौतिक सफलता की ओर अग्रसर होते हैं, ऐसे में कुछ लोग अपनी उच्च शिक्षा और प्रतिष्ठित नौकरियों को त्यागकर आध्यात्मिकता का मार्ग अपनाते हैं। ये लोग यह साबित करते हैं कि जीवन केवल भौतिक सुख-सुविधाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि आध्यात्मिक संतोष और समाज सेवा भी इसका महत्वपूर्ण हिस्सा हो सकते हैं। आइए ऐसे ही कुछ प्रेरणादायक व्यक्तित्वों के जीवन पर प्रकाश डालते हैं।

1. अमोघ लीला दास

अमोघ लीला दास का असली नाम आशीष अरोड़ा था। उन्होंने 2004 में ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद अमेरिका की एक मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी शुरू की। लेकिन 29 वर्ष की उम्र में उन्होंने इस्कॉन (इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस) में शामिल होकर भिक्षु और आध्यात्मिक कार्यकर्ता बनने का निर्णय लिया। आज वे न केवल एक आध्यात्मिक गुरू हैं, बल्कि एक प्रेरक वक्ता और लाइफस्टाइल कोच भी हैं।

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2. अविरल जैन

अविरल जैन ने आईआईटी बीएचयू से कंप्यूटर इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की। 2019 में उन्होंने अपनी नौकरी को अलविदा कहकर संन्यास ले लिया। उनका यह कदम यह दर्शाता है कि सफलता की परिभाषा केवल करियर तक सीमित नहीं है, बल्कि आत्मा की शांति और उच्चतर उद्देश्य को प्राप्त करना भी इसका हिस्सा है।

3. रसनाथ दास

रसनाथ दास ने 2007 में मठ का जीवन स्वीकार किया। आईआईटी और कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र रसनाथ ने ग्रेजुएशन के बाद आध्यात्मिकता का मार्ग चुना। वे अपने अनुभवों और ज्ञान के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास कर रहे हैं।

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4. संकेत पारेख

संकेत पारेख ने 22 जनवरी 2023 को मुंबई के बोरीवली में एक समारोह में भिक्षु बनने की शपथ ली। आईआईटी बॉम्बे के पूर्व छात्र और सफल करियर के धनी संकेत ने अपने भौतिक जीवन को त्यागकर एक आध्यात्मिक जीवन का वरण किया।

5. स्वामी मुकुंदानंद

स्वामी मुकुंदानंद, जो टेक्सास स्थित जगदगुरु कृपालुजी योग के संस्थापक हैं, ने एमआईटी, स्टैनफोर्ड और येल जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में व्याख्यान दिए हैं। उनकी शैक्षिक पृष्ठभूमि और आध्यात्मिक दृष्टिकोण का संगम उन्हें एक विशेष व्यक्तित्व बनाता है।

6. संदीप कुमार भट्ट

आईआईटी दिल्ली के गोल्ड मेडलिस्ट संदीप कुमार भट्ट ने मल्टीनेशनल कंपनी में अपनी नौकरी को त्यागकर संन्यासी जीवन अपना लिया। यह निर्णय यह दर्शाता है कि धन और प्रतिष्ठा के अलावा जीवन में अन्य महत्वपूर्ण पहलू भी होते हैं।

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7. गौरांग दास प्रभु

गौरांग दास प्रभु मुंबई में इस्कॉन मंदिर से जुड़े एक जाने-माने आध्यात्मिक गुरु हैं। 1989 से 1993 के बीच उन्होंने आईआईटी बॉम्बे से मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया। वे न केवल एक समाज सुधारक हैं, बल्कि पर्यावरण लीडर और सलाहकार के रूप में भी कार्यरत हैं।

इन सभी व्यक्तित्वों की जीवन यात्रा यह सिद्ध करती है कि उच्च शिक्षा और सफलता का अर्थ केवल भौतिक समृद्धि तक सीमित नहीं है। इन लोगों ने अपनी करियर की ऊंचाइयों को त्यागकर आध्यात्मिकता और समाज सेवा को अपने जीवन का उद्देश्य बनाया। यह उन युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो जीवन के गहरे अर्थ को खोजने की आकांक्षा रखते हैं।

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