India News (इंडिया न्यूज),Shaktipeeth:जिस तरह हिंदू धर्म में भगवान शंकर के धाम और 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन का महत्व है, उसी तरह शास्त्रों में माता सती के 51 शक्तिपीठों का जिक्र मिलता है। देवी पुराण के अनुसार मां सती के 51 शक्तिपीठ भारत में ही नहीं बल्कि पड़ोसी देशों में भी मौजूद हैं। पुराणों में शक्तिपीठों के निर्माण की कथा बताई गई है, जो भगवान शंकर, माता सती, उनके पिता दक्ष प्रजापति और भगवान विष्णु से जुड़ी है। देवी के प्रसिद्ध और पवित्र मंदिरों में 52 शक्तिपीठ शामिल हैं। वैसे तो 51 शक्तिपीठ माने गए हैं, लेकिन तंत्र चूड़ामणि में 52 शक्तिपीठों का जिक्र किया गया है। इन शक्तिपीठों के अस्तित्व में आने के पीछे एक खास वजह है।
किन देशों में हैं शक्तिपीठ
देवी पुराण में 51, देवी भागवत में 108 और देवी गीता में 72 शक्तिपीठों का उल्लेख है। पुराण में वर्णित 51 शक्तिपीठों में से कुछ विदेशों में भी स्थापित हैं। हमारे देश में कुल 42 शक्तिपीठ हैं। जबकि बांग्लादेश में 4, नेपाल में 2 और श्रीलंका-पाकिस्तान और तिब्बत में एक-एक शक्तिपीठ हैं।
भगवान शंकर को नहीं किया आमंत्रित
पुराणों के अनुसार, भगवान शिव की पहली पत्नी माता सती के पिता दक्ष प्रजापति एक बार एक महान यज्ञ कर रहे थे। उस महान यज्ञ में ब्रह्मा, विष्णु, इंद्र और सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया था।, लेकिन दक्ष प्रजापति ने नाराज होने के कारण अपनी पुत्री माता सती के पति यानी भगवान शंकर को आमंत्रित नहीं किया। जब माता सती ने अपने पिता से भगवान शिव को यज्ञ स्थल पर आमंत्रित न करने का कारण पूछा, तो दक्ष प्रजापति ने भगवान शंकर के खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग किया।
यज्ञ कुंड में त्यागे प्राण
अपने पति के इस अपमान से क्रोधित होकर माता सती ने उसी यज्ञ कुंड में अपने प्राण त्याग दिए। जब भगवान शिव को इस बारे में पता चला, तो वे क्रोधित हो गए और क्रोध में उनकी तीसरी आंख खुल गई और उन्होंने माता सती के शरीर को उठा लिया और तांडव करना शुरू कर दिया। भगवान शिव के क्रोधित तांडव के कारण पृथ्वी पर प्रलय का खतरा बढ़ने लगा, जिसे रोकने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर दिए। इसके बाद जहां-जहां देवी सती के शरीर के अंग धरती पर गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ की स्थापना हुई। इस तरह कुल 51 शक्तिपीठ बन गए।