India News (इंडिया न्यूज), Rahu Ko Shant Karne Ke Upay: राहु और केतु को वैदिक ज्योतिष में मायावी और छाया ग्रह कहा जाता है। इन ग्रहों का प्रभाव जातकों के जीवन पर अत्यंत गहरा होता है। किसी राशि में इनके गोचर मात्र से जीवन में बड़े बदलाव आ सकते हैं। राहु और केतु को “पापी ग्रह” भी कहा जाता है, लेकिन यह केवल नकारात्मक प्रभाव ही नहीं डालते, बल्कि यदि इनकी कृपा हो तो रातों-रात जीवन को धन-धान्य से भर देते हैं। वहीं, इनकी नाराजगी जीवन में तबाही ला सकती है।

राहु: न्यायप्रिय शनि के बाद धीमी गति वाला ग्रह

राहु की चाल शनि के बाद सबसे धीमी होती है, और इनका प्रभाव दीर्घकालिक होता है। राहु की महादशा 18 वर्षों तक चलती है, जो किसी व्यक्ति के जीवन को या तो समृद्ध बना सकती है या कठिनाइयों से भर सकती है। राहु की विशेषता यह है कि यह अप्रत्याशित होता है। कोई नहीं जानता कि राहु कब अपना मन बदल ले और जातक के जीवन को किस दिशा में मोड़ दे।

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राहु का भय और उसका समाधान

राहु का नाम सुनते ही लोग डर जाते हैं। इसकी महादशा से बचने के लिए लोग कई उपाय करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ब्रह्माण्ड में एक ऐसे देवता हैं, जिनसे राहु भी भयभीत रहता है?

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, राहु केवल भगवान शिव से डरता है। शिवजी को नवग्रहों का स्वामी माना गया है। यदि किसी की कुंडली में राहु की स्थिति अशुभ हो, तो भगवान शिव की पूजा से इस प्रभाव को कम किया जा सकता है।

शिवलिंग पर जल चढ़ाना: प्रतिदिन शिवलिंग पर जल अर्पित करें।
महामृत्युंजय मंत्र का जाप: इस मंत्र का जाप राहु के प्रकोप को शांत करता है।
रुद्राभिषेक: भगवान शिव के रौद्र रूप को प्रसन्न करने के लिए रुद्राभिषेक कराएं।

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राहु का सूर्य और चंद्रमा से बैर

राहु और सूर्य-चंद्रमा के बीच दुश्मनी का उल्लेख समुद्र मंथन की कथा में मिलता है। जब देवताओं और दानवों ने समुद्र मंथन से अमृत निकाला, तब भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर अमृत का वितरण किया। राहु ने देवता का रूप धारण कर अमृत पी लिया। यह देखकर सूर्य और चंद्रमा ने भगवान विष्णु को इसकी जानकारी दी।

भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से राहु का सिर काट दिया। लेकिन राहु अमृत पी चुका था, इसलिए उसका सिर और धड़ अमर हो गए। तब से राहु (सिर) और केतु (धड़) के नाम से यह जाने जाते हैं। सूर्य और चंद्रमा की शिकायत के कारण राहु उनसे बैर रखता है।

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राहु और केतु का ज्योतिषीय महत्व

राहु और केतु किसी व्यक्ति की कुंडली में गहरे प्रभाव डालते हैं। यदि यह शुभ स्थान पर हों, तो जीवन में सफलता और समृद्धि देते हैं। लेकिन यदि अशुभ स्थान पर हों, तो मानसिक तनाव, वित्तीय नुकसान और कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।

राहु और केतु, जिनकी चर्चा सुनकर भय उत्पन्न होता है, वास्तव में जीवन में बड़े बदलाव के संकेतक हैं। इनकी स्थिति और प्रभाव को समझकर, सही उपायों से इनकी अशुभता को कम किया जा सकता है। भगवान शिव की आराधना और ज्योतिषीय उपाय राहु के प्रकोप से बचने का श्रेष्ठ मार्ग हैं।

इस तरह, राहु और केतु के बारे में सही जानकारी और उपायों से जीवन को सुखमय बनाया जा सकता है।

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