What are the concepts related to Diwali : दिवाली जिसे लोग दीपों का त्योहार भी कहते हैं पूरे भारतवर्ष में मनाया जाने वाला एक पावन और बड़ा पर्व है । दिवाली का त्योहार दशहरे के 20 दिन बाद अक्टूबर या नवंबर में पड़ता है। दिवाली पर्व भगवान श्री राम के 14 वर्ष के वनवास से लौटने की खुशी में मनाया जाता है लोग दिवाली आने से पहले ही अपने घर को साफ-सफाई कर सुसज्जित कर देते हैं और अपने घर या आंगन में रंगोली बनाते हैं और जगह-जगह दीप जला कर अन्धकार को दूर कर देते है। दिवाली पर माता लक्ष्मी, माँ सरस्वती और भगवान श्री गणेश की पूजा की जाती हैं। तो जानते है दिवाली से जुडी अवधारणएं ….

दिवाली का महत्व (What are the concepts related to Diwali)

आज प्रकाश का त्यौहार है। दिवाली का मतलब है प्रकाश का त्यौहार। आप में से हर कोई अपने आप में एक प्रकाश है। यह त्यौहार सारे भारत, नेपाल, सिंगापुर, मलेशिया, श्रीलंका, इंडोनेशिया, मॉरीशस, सूरीनाम, त्रिनिदाद और दक्षिण अफ्रीका में मनाया जाता है।

लोग एक दूसरे को दिवाली की शुभ कामनाएं देते हैं और मिठाइयाँ बाँटते हैं। दिवाली के समय हम अतीत के सारे दु:ख भूल जाते हैं। जो कुछ भी दिमाग में भरा पड़ा हो, आप पटाखे चलाते हो और सब भूल जाते हो। पटाखों की तरह अतीत भी चला जाता है,सब जल जाता है और मन नया बन जाता है। यही दिवाली है।

अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है दिवाली (What are the concepts related to Diwali)

रोशनी का पर्व दीपावली सनातन धर्म का प्राचीन पर्व है। यह प्रतिवर्ष कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। इस पर्व के साथ अनेक धार्मिक, पौराणिक एवं ऐतिहासिक मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। यह पर्व श्रीराम के लंकापति रावण पर विजय हासिल करके और चौदह वर्ष का वनवास पूरा करके अयोध्या लौटने की खुशी में मनाया जाता है।

What are the concepts related to Diwali

पौराणिक कथाओं के अनुसार जब मयार्दा पुरुषोत्तम श्रीराम देवी सीता और अनुज लक्ष्मण सहित अयोध्या वापस लौटे तो नगरवासियों ने घर-घर दीप जलाकर खुशियां मनाईं थीं। इसी पौराणिक मान्यतानुसार प्रतिवर्ष घर-घर घी के दीये जलाए जाते हैं और खुशियां मनाई जाती हैं।

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कठोपनिषद में मिलता है यह प्रसंग (What are the concepts related to Diwali)

कठोपनिषद में यम-नचिकेता का प्रसंग आता है। इसके अनुसार नचिकेता जन्म-मरण का रहस्य यमराज से जानने के बाद यमलोक से वापिस मृत्युलोक में लौटे थे। एक धारणा के अनुसार नचिकेता के मृत्यु पर अमरता के विजय का ज्ञान लेकर लौटने की खुशी में भू-लोकवासियों ने घी के दीप जलाए थे। किवदंती है कि यही आर्यवर्त की पहली दीपावली थी।

समुद्र मंथन से आविर्भाव (What are the concepts related to Diwali)

एक अन्य कथा के अनुसार इसी दिन लक्ष्मी जी का समुद्र मंथन से आविर्भाव हुआ था। इस पौराणिक प्रसंगानुसार ऋषि दुवार्सा द्वारा देवराज इंद्र को दिए गए शाप के कारण लक्ष्मीजी को समुद्र में जाकर समाना पड़ा था। लक्ष्मीजी के बिना देवगण बलहीन व श्रीहीन हो गए।

इस परिस्थिति का फायदा उठाकर असुर उनके ऊपर हावी हो गए। देवगणों की याचना पर भगवान विष्णु ने योजनाबद्ध ढ़ंग से सुरों व असुरों के हाथों समुद्र-मंथन करवाया। समुद्र-मंथन से अमृत सहित चौदह रत्नों में श्री लक्ष्मी भी निकलीं, जिसे श्री विष्णु ने ग्रहण किया। लक्ष्मीजी के पुनार्विभाव से देवगणों में बल व श्री का संचार हुआ और उन्होंने पुन: असुरों पर विजय प्राप्त की।

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लक्ष्मीजी के इसी पुनार्विभाव की खुशी में समस्त लोकों में दीप प्रज्जवलित करके खुशियां मनाईं गई। इसी मान्यतानुसार प्रतिवर्ष दीपावली को लक्ष्मीजी की पूजा-अर्चना की जाती है। माकंर्डेय पुराण के अनुसार समृद्धि की देवी श्री लक्ष्मी जी की पूजा सर्वप्रथम नारायण ने स्वर्ग में की। इसके बाद लक्ष्मीजी की पूजा दूसरी बार, ब्रह्माजी ने, तीसरी बार शिवजी ने, चौथी बार समुद्र-मंथन के समय विष्णुजी ने पांचवी बार मनु ने और छठी बार नागों ने की थी।

श्रीकृष्ण से जुड़ा एक ऐसा भी प्रसंग (What are the concepts related to Diwali)

दीपावली पर्व के बारे में एक प्रसंग श्रीकृष्ण से भी जुड़ा है। इसके अनुसार भगवान श्रीकृष्ण बाल्यावस्था मे पहली बार गाय चराने के लिए वन में गए थे। संयोगवश इसी दिन श्रीकृष्ण ने इस मृत्युलोक से प्रस्थान किया था।

एक अन्य कथा के अनुसार इसी दिन श्रीकृष्ण ने नरकासुर नामक नीच असुर का वध करके उसके द्वारा बंदी बनाई गई देव, मानव और गंधर्वों की सोलह हजार कन्याओं को मुक्ति दिलाई थी। इसी खुशी में लोगों ने दीप जलाए थे। बाद में यह एक परंपरा के रूप में परिवर्तित हो गई।

भगवान श्री राम के वनवास से लौटने की खुशी में (What are the concepts related to Diwali)

दिवाली का त्योहार दशहरे के 20 दिन बाद अक्टूबर या नवंबर में पड़ता है। यह पर्व श्रीराम के लंकापति रावण पर विजय हासिल करके और चौदह वर्ष का वनवास पूरा करके अयोध्या लौटने की खुशी में मनाया जाता है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार जब मयार्दा पुरुषोत्तम श्रीराम देवी सीता और अनुज लक्ष्मण सहित अयोध्या वापस लौटे तो नगरवासियों ने घर-घर दीप जलाकर खुशियां मनाईं थीं। इसी पौराणिक मान्यतानुसार प्रतिवर्ष घर-घर घी के दीये जलाए जाते हैं और खुशियां मनाई जाती हैं।

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