India News(इंडिया न्यूज), Mani Parvat: भगवान राम की नगरी अयोध्या न केवल मंदिरों और मठों से भरी है, बल्कि प्राचीन अवशेषों से भी भरी पड़ी है। प्राचीन धरोहरों में से एक मणि पर्वत का नाम तो आपने सुना ही होगा। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, मान्यता है कि जब भगवान राम विवाह के बाद माता सीता को अयोध्या लाए थे, तो राजा जनक ने महाराजा दशरथ को उपहार स्वरूप रत्नों की एक श्रृंखला भेंट की थी।
- क्या है मणि पर्वत का रहस्य?
- राम से क्या है संबंध
राजा दशरथ ने उपहार में दिया रत्न Mani Parvat
बता दें कि कहानी के अनुसार राजा दशरथ ने अयोध्या में विद्या कुंड के पास उस रत्न को रख दिया था। राजा जनक इतने रत्न लाए थे कि जिस स्थान पर उन्हें रखा गया था, वह धीरे-धीरे एक पर्वत जैसा बन गया। जिसे आज भी मणि पर्वत के नाम से जाना जाता है। इतना ही नहीं, मणि पर्वत का रहस्य भी बेहद रोचक है।
क्या है मणि पर्वत का रहस्य?
कहा जाता है कि भगवान राम सावन माह की तृतीया यानी हरियाली तीज के दिन अयोध्या के मणि पर्वत पर माता सीता के साथ झूला झूलते थे हरियाली तीज के दिन बताया जाता है कि अयोध्या के मठ मंदिरों के विग्रह उत्सव होता है जिसका सभी आनंद लेने के लिए रथ पर सवार होकर लोग अयोध्या की यात्रा करते हैं और मणि पर्वत पहुंचते हैं, जहां लाखों श्रद्धालुओं झूले पर विराजमान भगवान राम और माता सीता के दर्शन करते है। Mani Parvat
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पुजारी ने बताई ये बात
राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास बताते हैं कि मणि पर्वत का इतिहास काफी प्राचीन है। कहा जाता है कि त्रेता युग में जब राजा जनक अयोध्या आए तो वह उपहार स्वरूप रत्नों को लेकर आए थे, जिसको राजा दशरथ ने विद्या कुंड के पास स्थित जनौरा गांव के पास रख था। धीरे-धीरे वहां एक पर्वत जैसी आकृति बन गई, जिसे आज मणि पर्वत के नाम से जाना जाता है। हर साल सावन के महीने में हरियाली तीज के दिन यहां लाखों श्रद्धालु आते हैं। मान्यता है कि जो श्रद्धालु मणि पर्वत जाकर पूजा-अर्चना करते हैं, उन्हें कई गुना अधिक पुण्य भी मिलता है।
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