India News (इंडिया न्यूज), Bhagwan Ram During Vanvas: भगवान श्रीराम की 14 वर्ष की वनवास यात्रा न केवल उनकी वीरता और आदर्शों को प्रकट करती है, बल्कि उनकी समाज सेवा और सांस्कृतिक योगदान को भी दर्शाती है। इस अवधि में उन्होंने न केवल संघर्ष किया बल्कि अनेक सामाजिक और सांस्कृतिक कार्य भी किए।

आदिवासियों और वनवासियों की शिक्षा और कुशलता:

भगवान राम ने अपने वनवास के 12 वर्षों में आदिवासियों और वनवासियों के बीच रहकर उन्हें जीवन की बुनियादी शिक्षाएं दीं। उन्होंने उन्हें झोपड़ियां बनाना और अन्य आवश्यक कौशल सिखाए, जिससे उनकी जीवनशैली में सुधार हुआ।

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मंदिर और तालाबों का निर्माण:

भगवान राम ने अयोध्या से लंका तक की यात्रा के दौरान कई स्थानों पर मंदिर और तालाब बनाए। जब वे चित्रकूट गए, तो वहां उन्होंने एक कुटिया बनाई और पहाड़ी पर मंदिर भी स्थापित किया। इसी प्रकार, नासिक के पंचवटी क्षेत्र में भी उन्होंने एक कुटिया बनाई और वहां के निवासियों को झोपड़ियां बनाना सिखाया।

रामेश्वरम में शिव पूजा:

लंका पर आक्रमण करने से पहले भगवान राम ने रामेश्वरम में भगवान शिव की पूजा की। वहाँ उन्होंने भगवान शिव के लिए एक शिवलिंग की स्थापना की, जो आज भी रामेश्वरम का प्रमुख धार्मिक स्थल है।

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शिवलिंगों की स्थापना और मंदिर निर्माण:

भगवान राम ने अपने यात्रा मार्ग में कई स्थानों पर शिवलिंगों की स्थापना की और मंदिरों का निर्माण करवाया, जिससे धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा मिला।

धनुष-बाण निर्माण और चलाने की कला:

उन्होंने वनवासियों को धनुष-बाण बनाना और चलाना सिखाया, जिससे उनकी रक्षा क्षमता और आत्मनिर्भरता बढ़ी।

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तालाबों का निर्माण:

भगवान राम ने वर्षा जल संग्रहण के लिए जंगलों में कई तालाब भी बनाए। इनमें से कुछ तालाब देवी लक्ष्मण और देवी सीता द्वारा भी निर्मित थे। ये तालाब पीने के पानी के स्रोत के रूप में उपयोग में आए।

इन कार्यों से भगवान श्रीराम ने केवल एक आदर्श राजा और योद्धा के रूप में ही नहीं, बल्कि एक समाज सुधारक और सांस्कृतिक पुनरुद्धारक के रूप में भी अपनी पहचान बनाई। उनके कार्यों ने न केवल उनके समय के समाज को लाभ पहुंचाया बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बने।

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