India News (इंडिया न्यूज), Arjun Jayadrath Vadh: महाभारत का युद्ध केवल दो राजपरिवारों के बीच की लड़ाई नहीं थी, बल्कि यह धर्म और अधर्म के बीच का संघर्ष था। इस युद्ध के 14वें दिन एक ऐसा घटनाक्रम घटा, जिसने महाभारत के पन्नों में अपनी एक अमिट छाप छोड़ी। यह घटना थी अर्जुन द्वारा अपने पुत्र अभिमन्यु की हत्या का बदला लेने के लिए जयद्रथ के वध की प्रतिज्ञा। आइए जानते हैं कि किस प्रकार यह ऐतिहासिक घटना घटी।
अभिमन्यु की हत्या: युद्ध के नियमों का उल्लंघन
महाभारत युद्ध के 13वें दिन, चक्रव्यूह की रणनीति अपनाई गई थी। अभिमन्यु, जो अर्जुन का वीर पुत्र था, इस चक्रव्यूह में प्रवेश तो कर गया, लेकिन बाहर निकलने का तरीका नहीं जानता था। कौरवों के सेनापति द्रोणाचार्य, अश्वत्थामा, बृहद्बल, कृतवर्मा और अन्य महारथियों ने अभिमन्यु को घेरकर उसकी नृशंस हत्या कर दी। यह घटना युद्ध के नियमों का स्पष्ट उल्लंघन थी, क्योंकि एक योद्धा पर इतने महारथियों का एक साथ आक्रमण करना अनुचित था।
अर्जुन की प्रतिज्ञा
अभिमन्यु की मृत्यु से शोकग्रस्त अर्जुन ने अगले दिन यानी 14वें दिन एक कठोर प्रतिज्ञा ली। उन्होंने शपथ ली कि वह सूर्यास्त से पहले जयद्रथ का वध करेंगे, अन्यथा अग्नि समाधि ले लेंगे। जयद्रथ को अभिमन्यु को चक्रव्यूह में फँसाने और उसकी हत्या में मुख्य भूमिका निभाने के कारण अर्जुन का लक्ष्य बनाया गया।
कौरवों की रणनीति और श्रीकृष्ण की माया
अर्जुन की प्रतिज्ञा सुनते ही कौरवों ने जयद्रथ को युद्धभूमि से छिपा दिया और उसकी सुरक्षा के लिए पूरी सेना तैनात कर दी। जैसे-जैसे समय बीत रहा था, सूर्य अस्त होने के करीब था। अर्जुन की प्रतिज्ञा पूरी होती न दिखने पर श्रीकृष्ण ने अपनी दिव्य माया का सहारा लिया। उन्होंने सूर्य को छिपा दिया, जिससे सूर्यास्त का भ्रम उत्पन्न हुआ।
जयद्रथ का वध
सूर्यास्त का भ्रम होते ही जयद्रथ यह सोचकर युद्धभूमि में प्रकट हुआ कि अब उसे कोई खतरा नहीं है। यह अर्जुन के लिए सुनहरा मौका था। श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जयद्रथ का वध करने का आदेश दिया। अर्जुन ने अपने गांडीव धनुष से जयद्रथ का सिर उसके पिता के हाथों में गिरा दिया, जिससे उसकी प्रतिज्ञा पूरी हुई।
धर्म की विजय
इस घटना ने यह प्रमाणित किया कि धर्म के मार्ग पर चलने वाले को विजय अवश्य मिलती है। अभिमन्यु की नृशंस हत्या का प्रतिशोध लेकर अर्जुन ने अधर्म के खिलाफ अपना धर्म निभाया।
महाभारत का यह अध्याय न केवल हमें धर्म-अधर्म के भेद को समझने की शिक्षा देता है, बल्कि यह भी सिखाता है कि सच्चाई और न्याय के लिए लड़ी गई लड़ाई में भगवान का साथ सदैव धर्म के पक्ष में होता है।
आखिर कैसे रोज कर्ण को आता था एक ही सपना हर रात…महाभारत इस कहानी का एक और पन्ना पढ़ लीजिये आज!