India News (इंडिया न्यूज), Facts About Mahabharat: महाभारत के इतिहास में द्रौपदी का विवाह एक महत्वपूर्ण घटना है। द्रौपदी, जो पांचाल देश के राजा द्रुपद की पुत्री थीं, का विवाह पांडवों के साथ हुआ। इस विवाह के साथ ही कई अद्वितीय घटनाएं जुड़ी हुई हैं, जिनमें राजा द्रुपद द्वारा अपनी पुत्री के विवाह में दिए गए दहेज की चर्चा प्रमुख है। यह दहेज न केवल द्रौपदी के प्रति उनके पिता के स्नेह और सम्मान को दर्शाता है, बल्कि उस समय की सामाजिक और आर्थिक समृद्धि का भी परिचायक है।

द्रौपदी का विवाह: संक्षेप में

द्रौपदी के स्वयंवर का आयोजन राजा द्रुपद ने बड़े धूमधाम से किया। स्वयंवर में अनेक राजा-महाराजाओं ने भाग लिया, लेकिन अर्जुन ने कठिन धनुष यज्ञ को पूर्ण कर द्रौपदी का वरण किया। विवाह के बाद जब पांडव द्रौपदी को अपने घर लाए, तो कुंती ने अनजाने में कहा, “जो भी लाए हो, आपस में बांट लो।” इसके परिणामस्वरूप, द्रौपदी पांचों पांडवों की पत्नी बनीं। यह घटना महाभारत की कथा को और भी गूढ़ और रोचक बनाती है।

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राजा द्रुपद द्वारा दिया गया दहेज

द्रौपदी के विवाह के अवसर पर राजा द्रुपद ने पांडवों को अनेक बहुमूल्य वस्तुएं दहेज में दीं, जो उनकी विशाल संपत्ति और समृद्धि को दर्शाती हैं। इन वस्तुओं में शामिल थे:

  1. सोने से लदे एक हजार हाथी: राजा द्रुपद ने पांडवों को उपहारस्वरूप एक हजार हाथी दिए, जो सोने के आभूषणों से सजे हुए थे। यह दहेज उनकी आर्थिक शक्ति और वैभव का प्रतीक था।
  2. पचास हजार सजे हुए घोड़े: विवाह के अवसर पर राजा द्रुपद ने पांडवों को पचास हजार घोड़े भेंट किए। ये घोड़े न केवल युद्ध के लिए उपयोगी थे, बल्कि उन पर सोने के आभूषण भी जड़े हुए थे।
  3. दस हजार दासियां: द्रौपदी की विदाई के समय, राजा द्रुपद ने दस हजार दासियां भी दीं। ये सभी दासियां अत्यंत सुंदर थीं और आभूषणों से सजी हुई थीं।
  4. एक-एक करोड़ गाएं: राजा द्रुपद ने प्रत्येक पांडव को एक-एक करोड़ गाएं दान में दीं। इन गायों को उस समय समृद्धि और संपन्नता का सबसे बड़ा प्रतीक माना जाता था।
  5. पालकियां और कहार: विदाई के समय, राजा द्रुपद ने 100 पालकियां और उन्हें ले जाने के लिए 500 कहार भी दिए। यह उनके उच्च वर्गीय समाज की परंपरा और भव्यता को दर्शाता है।

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द्रौपदी का विवाह महाभारत की कथा में एक प्रेरणादायक और ऐतिहासिक घटना है। राजा द्रुपद द्वारा दिया गया दहेज उस युग की सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक समृद्धि का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत करता है। यह कथा आज भी महाभारत के गूढ़ संदेशों और अद्भुत कहानियों का हिस्सा बनी हुई है।

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